श्रीप्रतीक सागरजी महाराज की बीसवीं दीक्षा जयंती मनायी
हावड़ा. दिगम्बर जैन समाज हावड़ा द्वारा आचार्य श्री पुष्दन्त सागरजी महाराज की सुयोग्य शिष्य क्रांतिवीर मुनिश्री प्रतीक सागरजी महाराज की बीसवीं दीक्षा जयंती मर्यादा महोत्सव के रूप में ऐतिहासिक रूप से मनायी गयी।
आचार्य श्री पुष्पदंत सागरजी महाराज के चित्र का अनावरण निर्मलजी, पुष्पाजी, जेसिका बिंदायका, द्वीप प्रज्जवलन प्रदीपजी जैन, मुख्य पाद प्रक्षालन रमेश कुमार अंकित कुमार-आतिश कुमार रारा, महाआरती संजयजी-सुनीताजी गोधा ने किया। इस अवसर पर मुनिश्री को नवीन पिच्छी भेंट करने का सौभाग्य शैलेशजी सुनीता गंगवाल ने प्राप्त किया।
बीस परिवारों द्वारा पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट किया गया। दीक्षा दिवस पर सम्पूर्ण कोलकाता महानगर की महिला मंडलों ने भक्ति पूर्ण भजनों पर झूमते हुए गुरुपूजन किया। मंच का संचालन श्वेता गंगवाल व मंजू पांड्या ने किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संयोजन सुप्रभात महिला मंडल एवं अरिहन्त मंडल ने संपादित किया।
डबसन रोड दिगम्बर जैन मंदिर सभागृह में क्रांतिवीर मुनि श्रीप्रतीक सागरजी महाराज ने अपने 20वें दीक्षा दिवस में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मन में ना रही कोई इच्छा उसी का नाम है मुनि दीक्षा। मुनिश्री ने कहा दीक्षा, मोह से दूर, मोक्ष की और कदम बढ़ाने का नाम है। यह वैराग्य जीवन की बहुमूल्य घटना है। जिसके जीवन में यह घटित होती है वह कंकड़ से तीर्थंकर, नर से नारायण बनने की यात्रा पर निकल पड़ता है। मुनिश्री ने कहा जब तक मुझे गुरु नही मिले थे तब तक मुझे कोई जानता भी नही था वहीं जब से मुझे गुरुदेव मिले तो लोग मुझे मानने भी लगे।