बीकानेर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्यश्री मणि प्रभ सूरिश्वर की आज्ञानुवर्ती, साध्वी सज्जनश्रीजी म.सा की शिष्या वरिष्ठ साध्वी, प्रवर्तिनी, शशि प्रभा म.सा आदि ठाणा छह व साध्वीश्रीसंयम पूर्णा आदि ठाणा 2 का चातुर्मासिक चतुर्दशी से चातुर्मासिक अनुष्ठान, जप, तप व प्रवचन के कार्यक्रम सोमवार से बागड़ी मोहल्ले की ढढ्ढा कोटड़ी में होंगे। सोमवार से नियमित प्रवचन का समय सुबह नौ बजे से सवा दस बजे तक रहेगा। चातुर्मास के दौरान अनेक धार्मिक कार्यक्रम होंगे।


फलौदी मूल की पचहतर वर्षीय शशि प्रभा म.सा. का बीकानेर में 1992 के बाद दूसरा तथा उनकी सहवृृति खडग़पुूर बंगाल की साध्वी दिव्य दर्शना, गढ़ शिवाना की सौम्य गुणाश्री, जयपुर की संवेग प्रज्ञाश्री, बाड़मेर की श्रमणी प्रज्ञा, व चोहटन की साध्वी जागृत दर्शना का पहला चातुर्मास है। वहीं बीकानेर मूल की साध्वी सयमपूर्णा का पांचवां व उनकी सहवृति साध्वी श्रद्धानिधि का बीकानेर में तीसरा चातुर्मास है। खरतरगच्छ संघ की साध्वी शशि प्रभा म.सा. की सहवृति साध्वी संयम प्रज्ञा व स्थित प्रज्ञा का चातुर्मास के कार्यक्रम उदयरामसर में शुरू होंगे।

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प्रवचन के लिए ढढ्ढा कोटड़ी में लगभग दो हजार श्रावक-श्राविकाओं के बैठने के लिए विशाल पांडाल व मंच लगवाया गया है। वहीं बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए प्रवास व भोजन आदि की व्यवस्था पारख, सेठिया, ढढ्ढा चैक क्षेत्र के महावीर भवन में की गई है। भोजन व्यवस्था का लाभ कन्हैयालाल, महावीर कुमार व नमन कुमार नाहटा परिवार ने लिया है।

ढढ्ढा चैक के इन्द्रलोक में रविवार को श्रावक-श्राविकाओं को साध्वीश्री शशि प्रभा म.सा. ने चातुर्मासिक चतुर्दशी के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि चार माह जैन साधु संत स्थिर रहकर स्वयं धर्म ध्यान करते है तथा श्रावक-श्राविकाओं को भी धार्मिक गतिविधियों से जोड़ते है। चातुर्मास के दौरान देवाधिदेव इन्द्र सहित सभी सम्यत्व देवता प्रभु भक्ति करते है। श्रावक-श्राविकाओं को भी चाहिए के वे चातुर्मास में जैन धर्म में रात्रि भोजन, जमीकंद आदि का त्याग कर अधिकाधिक धर्म ध्यान करें।

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