बीकानेर। नव संवत्सर 2076 व आर्य समाज स्थापना दिवस 144 वें कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य अतिथि प्रोफेसर डी एन पुरोहित पूर्व कुलपति मह्रिषी दयानंद सरस्वती, अजमेर ने अपने उद्बोधन में कहा की आर्य समाज के प्रवर्तक मह्रिषी दयानंद सरस्वती का वेदों के प्रचार व् प्रसार में बहुत बड़ा योगदान रहा। गायत्री मन्त्र की विस्तृत चर्चा करते हुवे कि यह बुद्धि प्रदाता मन्त्र है इसके उच्चारण से लाभ ही लाभ है ।

स्व .ठाकुर प्रसाद आर्य द्वारा स्थापित और संचालित वैदिक पुस्तकालय को उनके वेदज्ञ व् यशस्वी सुपुत्रद्विजेन्द्र शास्त्री द्वारा आर्यसमाज मह्रि दयानंद मार्ग, बीकानेर को सर्म पित करने के बारे में प्रो0 डीएन पुरोहित ने कहाकि यह मेरा सोभाग्य रहा कि उनसे उनके पुस्तकालय में मिलने तथा उनसे चर्चा करने का अवसर मिला ।मेरे वन में सेकडो विद्वान् संपर्क मै आये किन्तुठाकुर प्रसाद वेदों के प्रकाण्ड थे व् उनको कंठस्थ भी थे । 99 वर्ष की उम्र में भी वे पूर्ण स्वस्थ थे और हजारो पुस्तके में से कौन सी पुस्तक कहा पड़ी है तुरंत निकाल लाना है अपने आप में बहुत बड़ी बात थी । आय के अपने सिमित साधनो से हजारो पुस्तको का पुस्तकालय खड़ा कर लेना अपने आप में अदिव्तीय है

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और मै समझता हूँ कि उनके पुत्र द्वारा आर्यसमाज को इतना बड़ा पुस्तकालय सोपना भी इतहसिक घटना होगी। विशिष्ट अतिथि डॉ.सतीश कच्छावा, प्रोफेसर, रेडियोलॉ एवम् अडि.प्रिंसिपल, एस पी मेडिकल कॉलेज, बीकानेर ने मह्रिषी दयानंद ने पाखंड, अंधविस्वास पोंगापंथी कुरीतियो का विरोध कर आमजन को सहिमार्ग दिखाकर अं जागरण किया । डॉ.राधे श्याम,प्रोफेसर वेटीरनरी कोलेज, बीकानेर ने मह्रिषी दयानंद के जीवन की अनेक घटनाये सुनाई तथा कहा कि आर्यसमाज के नियम बनाकर व् स्थापना कर देशी रियासत के राजाओ महाराजो को सुधार करने के लिए प्रेरित किया जिन्होंने उनका अनुसरण किया। इससे पूर्व अनेको पुरुस्कारों से सम्मानित कविराजेन्द्र स्वर्णकार ने स्वरचित काव्य रचना सुनाकर और समाजसेवी व कविश्री राजारामजी ने स्वरचित पर्व सबंधी सुनकर श्रोताओ को भावविभोर किया ।


उत्तरा मदान, दशरथ, गौतमसिंघ, फूलचंद आर्य, इंदिराजी चावला आदि ने भी भजन तथा जीवनी के सम्बन्ध में अपने विचार प्रकट किये ।
कार्यक्रम की शुरुवात सहायक प्रोफेसरकेसरमल ब्रह्मत्व में तथा चार नवविवाहित युग्ल के यज्ञ मानत्व में यज्ञ से हुवा जिसमे पर्व सबंधी वेदमंत्रों से आहुतियों के साथ उनकी व्याख्या भी की गई । श्रीमती उषा सावित्री सुनीता आदि के भजनों से हुई ।
कार्यक्रम के अंत में अखिल भारतीय स्तर की सत्यार्थ प्रकाश की प्रतियोगिता श्रीमती उषा देवी सोनी के तृतीय स्थान के साथ ही नकद पुरुस्कार जीतने पर तथा बीकानेर का नाम ऊँचा करने पर अभिनंदन किया गया । मुख्य अतिथिडी एन पुरोहित, विशिष्ट अतिथि डॉ सतीश कच्छावा तथा डॉ.राधेश्याम का प्रधानमहेश आर्य, वरिष्ठ सदस्य व् पूर्व प्रधानउदय शंकर व्यास कोषाध्यक्ष श्रीमती रूपादेवी आर्य, नर्सिंग सवित्रीजी लक्ष्मी आदि ने ओमपतिका शॉल व् मेमोंटो सत्यार्थ प्रकाश आदि से सम्मानित किया गया ।महेश आर्य प्रधान ने अतिथियों व उपस्थित आर्यजनो का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मह्रिषी रचितं सत्यार्थ प्रकाश के अध्ययन के लिए प्रेरित किया। जयराम अधिष्ठाता आर्य वीर दल के संयोजन में अनेक करतब दिखाकर वाहवाही बटोरी ।
मंत्रीभगवती प्रसाद ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा साहित्य और हवन सामग्री लागत मात्र में उपलब्ध कराई जा रशि है। तत्पषचात सेकड़ो व्यक्तियो द्वारा सामूहिक भोज का आनंद लिया ।

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