Mamta Benerjee

OmExpress News / Kolkata / महिला वोटरों और मुस्लिम वोटरों के एकतरफा समर्थन ने तृणमूल कांग्रेस को ऐतिहासिक जीत दिलायी। 2021 के चुनाव ने पूरे देश में यह संदेश दिया कि पश्चिम बंगाल में पारिवारिक लोकतंत्र सबसे मजबूत है। पति ने अगर भाजपा को वोट दिया तो पत्नी और बेटी ने तृणमूल कांग्रेस को। एक परिवार में सबको अपनी-अपनी पसंद के मुताबिक वोट देने का अधिकार अब नतीजों में दिखायी दे रहा है। (West Bengal Assembly Election Results)

वोटिंग के दौरान कई बूथों पर पति ने अगर भाजपा के प्रति अपना झुकाव दिखाया था तो पत्नी ने ‘दीदी’ के प्रति। महिलाओं की सोच पर परिवार के पुरुष सदस्यों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। महिलाओं ने खुल कर ममता बनर्जी को समर्थन दिया। ऐसा दो कारणों से हुआ। एक तो ममता बनर्जी को महिला होने के नाते आधी आबादी का अपार जनसमर्थन मिला। दूसरे, सरकार की महिला कल्याण से जुड़ी योजनाओं की कामयाबी ने ममता बनर्जी के आधार को और मजबूत कर दिया।

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महिलाओं में तृणमूल की लोकप्रियता को देख कर ही उन्होंने इस चुनाव में 51 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। महिलाओं की इस सोच ने भाजपा के हिंदू कार्ड को सफल नहीं होने दिया। मुस्लिमों के वोट तो थोक में तृणमूल को मिल गये लेकिन भाजपा के हिंदू वोट महिला और पुरुष में बंट गये। इसलिए भाजपा के सत्ता में आने का सपना पूरा नहीं हो सका।

 

कन्याश्री, रूपाश्री योजना सुपर हिट

पश्चिम बंगाल में महिला वोटरों की संख्या करीब तीन करोड़ 15 लाख है। राज्य में लड़किय़ों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ममता बनर्जी ने 2013 में कन्याश्री योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को 25 हजर रुपये छात्रवृत्ति दी जाती है।

पिछले साल ममता बनर्जी ने कहा था कि इस योजना से करीब 67 लाख लड़कियों को फायदा मिला। उनकी पढ़ाई और स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर हुई। माता-पिता की सोच बदल गयी। वे सोचने लगे कि लड़की बोझ नहीं होती। इस योजना के सफल होने के बाद ममता बनर्जी ने 2018 में रुपाश्री योजना लागू की। इस योजना का मकसद था बालविवाह को रोकना। पढ़ने लिखने और बालिग होने के बाद लड़कियों की शादी के लिए 25 हजार रुपये की सहायता मिलती है।

यह सहायता वैसे परिवारों को मिलती है जिनकी सालाना आय डेढ़ लाख रुपये से कम हो। इन य़ोजनाओं का फायदा हकीकत में मिला भी। इसलिए महिलाओं ने तर्कों और मुद्दों को दरकिनार सिर्फ दीदी को चुना।

महिलाओं की पसंद रहीं दीदी

चाहे किसी भी समुदाय की महिला रहीं हों, उन्होंने एक अलग पहचान के लिए वोट किया। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। अभी वे पूरे भारत में वे एक मात्र महिला मुख्यमंत्री हैं। राज्य की महिलाएं मुख्यमंत्री में अपनी छवि देखती हैं। इन्हें लगता है महिला होने के नाते उन्हें दीदी को ही वोट करना चाहिए।

ममता बनर्जी ने चुनाव में खुद को बंगाल की बेटी के रूप में पेश किया था। इस भावनात्मक नारे ने महिलाओं को ममता बनर्जी के साथ मजबूती से जोड़ दिया। भाजपा समर्थक भी स्वीकर करते हैं कि उनके परिवारों की महिलाओं ने भी राज्य की योजनाओं का फायदा उठाया है। ऐसे में महिलाओं के एकमुश्त वोट तृणमूल की झोली में जा गिरे । जब-जब महिला वोटरों का मतदान प्रतिशत बढ़ता है तब-तब ममता बनर्जी को चुनावी लाभ मिलता है।

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2011 में 84 फीसदी पुरुषों के मुकाबले 85 फीसदी महिला वोटरों ने मतदान किया था तब दीदी की सरकार बनी थी। 2016 में भी पुरुषों के 82 फीसदी के मुकाबले 83 फीसदी महिलाओं ने वोट डाला था और दीदी फिर सत्ता में आयीं थीं। 2021 में महिला वोटरों के कारण ही भाजपा के जय श्रीराम का नारा सफल नहीं हो पाया और दीदी तीसरी बार प्रचंड बहुमत से जीत गयीं।

मुस्लिम वोटरों के थोक वोट

इस चुनाव में मुस्लिम वोटरों ने तृणमूल को एकमुश्त वोट दिये। पश्चिम बंगाल की 294 में करीब 50 सीटों पर मुस्लिम वोटरों की आबादी करीब 50 फीसदी है। ये सीटें तृणमूल के खाते में जाती दिख रही हैं। 130 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर प्रभावकारी हैं। मुस्लिम वोटरों ने अब्बास सिद्दकी या असदुद्दीन ओवैसी पर बिल्कुल भरोसा नहीं किया। उन्होंने भाजपा की प्रतिक्रिया में और मजबूती से ममता बनर्जी का समर्थन किया।

ममता बनर्जी ने अपनी चुनावी सभाओं में कहा भी था कि मुस्लिम समुदाय एकजुट हो कर तृणमूल के पक्ष में वोट करें। वे अपना वोट बिल्कुल बंटने नहीं दे वर्ना भाजपा को फायदा हो जाएगा। ऐसी ही हुआ। अब्बास सिद्दीकी की पार्टी ने कांग्रेस और वाम से गठजोड़ कर 28 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन एक पर भी बढ़त नहीं बना सकी।

नंदीग्राम के संग्राम मेंअधिकारी ने दी ममता बनर्जी को मात

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का सबसे कड़ा और दिलचस्प मुकाबला नंदीग्राम में हुआ। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कभी उनके दाएं हाथ रहे शुभेंदु अधिकारी ने नजदीकी मुकाबले में हरा दिया है। नंदीग्राम के नतीजे के बाद जहां ममता बनर्जी ने गड़बड़ी का आरोप लगाकर कोर्ट जाने की बात कही है तो शुभेंदु अधिकारी ने जनता का आभार जताकर सेवा की प्रतिबद्धता जताई है।

शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ”प्यार, विश्वास, आशीर्वाद, समर्थन और मुझे अपना प्रतिनिधि और विधायक चुनने के लिए नंदीग्राम की महान जनता को बहुत धन्यवाद। उनकी (जनता) सेवा और कल्याण के लिए काम करना मेरी कभी ना खत्म होने वाली प्रतिबद्धता है। मैं वास्तव में आभारी हूं। ” शुभेंदु अधिकारी ने इस ट्वीट के साथ इस सीट की मतगणना का परिणाम भी साझा किया है। इसके मुताबिक शुभेंदु ने ममता बनर्जी को 1736 वोटों से हराया है।

भवानीपुर सीट छोड़कर इस बार नंदीग्राम में अपने जूनियर से लड़ने का ममता बनर्जी का फैसला उल्टा पड़ गया है। नंदीग्राम आंदोलन के कर्ताधर्ता रहे शुभेंदु अधिकारी के गढ़ से चुनाव लड़ने का जैसे ही ममता बनर्जी ने ऐलान किया, अधिकारी ने दावा किया था कि वह मुख्यमंत्री को 50 हजार वोटों से हरा देंगे। हार जीत का अंतर भले ही बेहद कम रहा, लेकिन शुभेंदु ने टीएमसी की जीत के रंग में भंग जरूर डाल दिया है।

अब तक प्राप्त रुझानों के मुताबिक विधानसभा की 292 सीटों के लिए जारी मतगणना में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस 202 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जबकि भाजपा 81 सीटों पर आगे है। पिछले विधानसभा चुनाव में महज तीन सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी लेकिन वह अपने अभियान में सफल नहीं हो सकी।