बीकानेर। वैसे तो पुष्करणा सावा फरवरी में है। लेकिन पुष्करणा सावे की रमक-झमक जनवरी के दूसरे सप्ताह से ही दिखने और सुनने को मिलेगी। मौका होगा अन्तर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव का। जिसमें निकलने वाली शोभायात्रा में पूरी विष्णुरूपी दुल्हे से सजी धजी बारात निकलेगी। रमक झमक संस्था द्वारा निकाली जाने वाली इस बारात में पुष्करणा समाज की रीति अनुसार बारात में विष्णु रूपी दुल्हे को परम्परागत गीत केसरियो लाडो जीवंता रे…! के मांगलिक गीत के साथ ले जाया जायेगा।
रमक़ झमक संस्था के प्रहलाद ओझा भैरू ने कहा कि यह बीकानेर की संस्कृति व पुष्करणा समाज के लिए गौरव की बात है। ओझा ने बताया कि शोभायात्रा में पुष्करणा परम्परा के अनुसार खिड़गिया पाग(साफा), बाजुबंध, तिलक, पुष्पमाला और पैरों में खड़ाऊ पहन कर चलेगा। पूरी शोभायात्रा के दौरान दुल्हा लौंकार की छत्रछाया में पैदल ही चलेगा। दुल्हे के साथ केसरियों लाडो जीवंतों रेहै… वैवाहिक गीत गाते हुए रंगबिरंगी पोशाकों में सजी संवरी महिलाएं एवं पुरूष ऊंट उत्सव का खास आकर्षण रहेंगे।
गौरतलब है इस उत्सव में हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक शामिल होते हैं। गौरतलब रहे कि २१ फरवरी को पुष्करणा समाज का सामूहिक सावा है और इस सावे में सावे में सैंकड़ों जोडे परिणय सूत्र में बंधेगें। पुष्करणा सावे की यह परम्परा सदियों पुरानी है। जहां एक ही दिन में बड़ी संख्या में शादियां होती है। इस गौरवशाली परम्परा को देशी तथा विदेशी पर्यटकों के लिए एक यादगार सौगात होगी। साथ ही उन्हें बीकानेर के पुष्करणा समाज के इस वैवाहिक संस्कार की समृद्ध परम्परा का संदेश देने का अवसर भी मिलेगा।(PB)