–हिंदी साहित्य में नव प्रयोग है ‘तटस्थ’
बीकानेर । धीर-गंभीर प्रकृति के लेखक अविनाश व्यास की रचनाएं सामाजिक विद्रूपताओं को ना केवल दर्शाती हैं, वरन इनकी लेखनी में विषमताओं को दूर करने की पुरजोर शैल्पिक प्रयास भी है। लेखक की यह प्रथम कृति है और इसमें कहानियों, लघु कथाओं, कविताओं और गजलों को संग्रहित किया गया है। कवि-कथाकार अविनाश चंद्र व्यास की पहली पुस्तक ‘तटस्थ’ के विमोचन अवसर पर शनिवार को ओझा सत्संग भवन में आयोजित समारोह में अतिथियों ने यह उद्गार व्यक्त किए। केन्द्रीय साहित्य अकादमी में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि व्यास की रचनाएं समाज की प्रतिबिंब हैं। यह हमारे आसपास के माहौल से उपजी रचनाएं हैं। इनकी कविताओं में गहराई है, तो कहानियों में सामाजिक ताना-बाना और जीवन जीने की दृष्टि है।
वरिष्ठ कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि एक ही पुस्तक में अलग-अलग विधाओं को शामिल करना नया प्रयोग है। इसमें अनेक चुनौतियां हैं, लेकिन व्यास इन पर खरे उतरे हैं। इनमें जीवन के अनेक पक्षों को उजागर किया गया है।