-मुकेश पूनिया-
बीकानेर। शहर के आस पास ग्रीन बेल्ट और खेतों की जमीनों पर बसाई गई अवैध कॉलोनियों के भूखण्डों की खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर हो रही फर्जी रजिस्ट्रियों की खबर उजागर होने के बाद भू-माफियाओं में खलबली सी मची हुई है।

जबकि पुख्ता खबर है कि अवैध कॉलोनियों के भूखण्डों की फर्जी रजिस्ट्रियों का खेल अभी से नहीं लंबे अर्से से चल रहा है,इसमें सब रजिस्ट्रार ऑफिस के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल है। जानकारी में रहे कि बीकानेर शहर के चहुंओर अवैध कॉलोनियों का मायाजाल बिछा चुके भू-माफिया लोगों को सस्ते और आसान किश्तों में आलिशान भूखण्डों के सब्जबाग दिखाकर अपनी कॉलोनियों के हजारों भूखण्ड बेच चुके है,इनमें से कई कॉलोनियों के भूखण्डों की बिक्री इकरार नामें के आधार पर की गई है वहीं अनेक शातिर भू-माफियां भूखण्डों की रजिस्ट्रियां भी करवा रहे है,इन रजिस्ट्रियों में फर्जीवाड़ा किया गया है।

इसे लेकर लगातार मिल रही शिकायतों के बावजूद भी जिला प्रशासन तथा सब रजिस्ट्रार ऑफिस के अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। वहीं शिकायतकर्ता को पुख्ता तौर पर कहना है कि अगर अवैध कॉलोनियों के भूखण्डों की रजिस्ट्रियों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाये तो फर्जीवाड़े का बड़ा मामला उजागर हो सकता है। जानकारी के अनुसार कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अवैध कॉलोनियों के भूखण्डों की रजिस्ट्रियों से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिये सूचना अधिकार एक्ट के तहत सब रजिस्ट्रार ऑफिस से सूचनाएं मांगी थी,लेकिन ऑफिस के लोक सूचना अधिकारी ने तीसरे पक्ष का फंडा

अपना सूचनाएं देने से इंकार कर दिया।

जानकारी में रहे कि बीकानेर में शासन-प्रशासन पर भारी पड़ रहे भू-माफियाओं ने अपने सियासी रसूखात के दम पर शहर के आस-आस एक-दो नहीं बल्कि दो सौ से ज्यादा अवैध कॉलोनिया बसा रखी है,जहां थोक भाव भूखण्ड बेचे जा रहे है। इनमें कई भू-माफियाओं ने हाईकोर्ट के फैसले को ताक में रखकर ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में कॉलोनिया बसा दी,इतना ही नहीं कई जनों ने फार्म हाउस के नाम पर स्वीकृति लेकर वहां कॉलोनियां बसा दी। जानकारी में रहे कि शहर में मास्टर प्लान के तहत 34 राजस्व ग्राम एवं चकों में राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90ए के तहत कृषि भूमि का बिना अकृषि भू-रूपान्तरण कराए, ले-आउट पास कराए बिना बेचे गए कृषि भूमि के टुकड़ों में निर्माण अवैध की श्रेणी में आते हैं। इन भूखंडों पर निर्माण अनुमति एवं किसी भी तरह की एनओसी नहीं दी जा सकती है। अवैध कॉलोनियों में राज्य सरकार की टाउनशिप पॉलिसी के अनुसार सामुदायिक सुविधाओं एवं सड़कों का मानदण्डानुसार कोई प्रावधान नहीं रखा गया है,सभी नियमों की अनदेखी की गई है।