भुवनेश्वर, 10 नवम्बर 2025: देश के प्रमुख बी-स्कूल्स में से एक, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) सम्बलपुर ने श्रीश्री विश्वविद्यालय (एसएसयू) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का उद्देश्य नवाचार, शोध और समग्र शिक्षा को प्रोत्साहित करना है। इस साझेदारी के माध्यम से दोनों संस्थान दीर्घकालिक शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग स्थापित करेंगे, जिसके तहत कार्यशालाएं, शोध परियोजनाएं, प्रकाशन और छात्र विनिमय कार्यक्रम जैसे कई संयुक्त उपक्रम संचालित किए जाएंगे।

हस्ताक्षर समारोह में श्रीश्री विश्वविद्यालय के संस्थापक पूज्य गुरुदेव श्रीश्री रविशंकर जी की दिव्य उपस्थिति रही। इस अवसर पर आईआईएम सम्बलपुर के निदेशक प्रो. महादेव प्रसाद जायसवाल, श्रीश्री विश्वविद्यालय की अध्यक्ष प्रो. (श्रीमती) रजिता कुलकर्णी, तथा दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी और संकाय सदस्य उपस्थित थे।

इस समझौते के तहत, दोनों विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से विभिन्न शैक्षणिक कार्यशालाएं, सेमिनार, वेबिनार और लघु अवधि के पाठ्यक्रम आयोजित करेंगे, जो डेटा साइंस और उससे जुड़े उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित होंगे। साझेदारी के अंतर्गत एक सक्रिय छात्र एवं संकाय विनिमय कार्यक्रम भी शुरू किया जाएगा, जिसके माध्यम से दोनों संस्थानों के विशेषज्ञ स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर व्याख्यान देंगे और अनुभव साझा करेंगे।

छात्र भी संयुक्त शैक्षणिक मॉड्यूल्स और अनुभवात्मक शिक्षण परियोजनाओं में भाग लेंगे, जिनके लिए आवास और अन्य आवश्यक सुविधाएं आपसी सहयोग से प्रदान की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, दोनों संस्थान संयुक्त रूप से शोध और प्रकाशन गतिविधियों में भाग लेंगे, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से अनुदान के लिए आवेदन करेंगे तथा प्रतिष्ठित समीक्षित जर्नलों में संयुक्त शोध पत्र प्रकाशित करेंगे।

आईआईएम सम्बलपुर के निदेशक प्रो. महादेव प्रसाद जायसवाल ने कहा, “हम श्रीश्री विश्वविद्यालय के साथ नवाचार और समग्र शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करके अत्यंत प्रसन्न हैं। यह साझेदारी आधुनिक प्रबंधन शिक्षा को मानवीय मूल्यों और सामाजिक प्रभाव के साथ एकीकृत करने की हमारी साझा दृष्टि को सशक्त बनाती है। यह सहयोग डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, प्रबंधन, स्ट्रेस मैनेजमेंट और अध्यात्म जैसे उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित होगा। हम मिलकर ऐसे भविष्य के नेताओं को तैयार करना चाहते हैं, जो न केवल दक्ष और नवाचारी हों बल्कि नैतिकता और करुणा में भी रचे-बसे हों।”

यह सहयोग ओडिशा के उच्च शिक्षा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो दोनों संस्थानों की साझा दृष्टि को सशक्त करता है — जिम्मेदार नेतृत्व का विकास, शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देना और समावेशी विकास एवं नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहित करना।