बीकानेर, । ‘मैं पहले इंसान हूं, फिर धार्मिक हूं, फिर जैन हूं और फिर तेरापंथ का आचार्य हूं ‘शब्दों से अपना परिचय देने वाले महामानव आचार्य तुलसी के 25 वें महाप्रयाण दिवस पर विश्वभर में उनके अनुयायियों ने भाक्तिभाव के साथ जप, तप, त्याग के माध्यम से उन्हें भावांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर गंगाशहर सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री पावनप्रभा आदि साध्वियों एवं तेरापंथ भवन में विराजित मुनिश्री शांतिकुमार आदि मुनिवृंदों की प्रेरणा व अथक परिश्रम से जप-तप का महानुष्ठान आषाढ़ी तीज रविवार को सम्पन्न हुआ। इस दौरान जय तुलसी का सवा करोड़ से भी अधिक जप हुआ एवं तप के क्रम में एक ही दिन में दो बार ढाई सौ प्रत्याख्यान हुए, जिसमें 500 से भी अधिक श्रावक-श्राविकाओं की सहभागिता रही। महात्यागी आचार्य तुलसी की पावन पुण्यतिथि पर महानुष्ठान में स्थानीय तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मण्डल, कन्या मण्डल व अणुव्रत समिति का उल्लेखनीय सहयोग रहा।

श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गंगाशहर के अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने बताया कि आचार्य तुलसी द्वारा मानव जाति के लिए दिए गए अवदान अनमोल हैं। आचार्य तुलसी के हम सभी पर अनंत उपकार हैं। उन्होंने बताया कि आचार्य तुलसी के 25वें निर्वाण दिवस पर आचार्य महाश्रमण के पावन आशीर्वाद से गंगाशहर में साधु-साध्वियों की प्रेरणा से तथा श्रावक-श्राविकाओं के अथक प्रयासों से सवा करोड़ से अधिक जप हुआ। इस दौरान 600 से ज्यादा लोगों ने उपवास, एकसान, आयम्बिल, पोरसी, नवकारसी आदि तप करके गणाधिपति आचार्य तुलसी को आध्यात्मिक श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर मंत्री रतन छलाणी ने कहा कि आचार्य तुलसी का जीवन, उद्बोधन, विचार, आलेख, गीत सम्पूर्ण मानव जाति के लिए प्रेरणास्पद रहे हैं। वे दूरदर्शी आचार्य थे, जिन्होंने आमजन के नैतिक और चारित्रिक उत्थान हेतु अनेक नवीन विचारों, कार्यक्रमों, और योजनाओं का प्रारम्भ किया। उनके द्वारा प्रतिपादित विभिन्न आयाम वर्तमान में भी सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए श्रेष्ठ मार्ग का निर्माण कर रहे हैं।