सिवनी (म.प्र.)। खरतर विरूद धारक जिनेश्वरसूरिजी महाराज की पाट परम्परा के वर्तमान आचार्य श्री जिनपीयूषसूरीश्वरजी म.सा की पावनतम निश्रा एवं मुनिराज श्री सम्यकरत्नसागर म.सा., मुनिराज श्री समर्पितरत्नसागर म.सा., मुनिराज श्री संकल्परत्नसागरजी म.सा., मुनिराज श्री संवेगरत्नसागरजी म.सा., मुनिराज श्री शौर्यरत्नसागरजी म.सा. आदि ठाणा की सानिध्यता में सिवनी शहर में वर्षावास 2020 चल रहा है। चातुर्मास के दौरान आचार्य श्री जिनपीयूषसूरीश्वरजी म.सा म.सा. की 41 दिवसीय सूरि मंत्र की तृतीय पीठिका श्रीदेवी तथा पंचम पीठिका गौतम स्वामी की संयुक्त रूप से साधना दिनांक 31 अगस्त 2020 भाद्रपद सुदि 13, सोमवार को महाकौशल की भूमि पर उदीयमान श्री नमिऊण पाश्र्वनाथ तीर्थ प्रांगण में प्रारम्भ हुई।
सूरि मंत्र की साधना करने का प्रारम्भ करने का उचित समय श्री गौतम स्वामीजी के समय के साथ प्रारम्भ होता है। तृतीय पीठिका की साधना 25 दिन व पंचम पीठिका की साधना 16 दिवसीय पिठिका अनुसार साधना की जाती है। इसमें पहली साधना सरस्वती देवी की होती है। वीतराग वाणी ही सरस्वती है इसकी प्रथम आराधना की जाती है। इसी के साथ पीठिका पर गौतमस्वामी जी सहित यक्षराज, लक्ष्मीदेवी आदि देवी देवता की भी आराधना की जाती है। यह आराधना करने के बाद आचार्य भगवन्त प्रतिष्ठा अंजनशलाका आदि करते है। प्रतिमा के कान में मंत्रोच्चार करके प्राण फूंकते है। आचार्यपद प्राप्त होने के बाद आचार्य भगवन्त को सूरि मंत्र आराधना करना महत्वपूर्ण होता है। आचार्यश्री आराधना के दौरान 41 दिवस तक पूर्णकालिक मौन साधना में रहेगें। तृतीय पद पर आरुढ होने वाले आचार्यश्री को प्रतिदिन 3 घण्टे तक जाप आदि करके साधना करना पड़ती है। आचार्यश्री साधना के बल पर उर्जा प्राप्त करके समाज का उत्थान करते हुये पंच प्रस्थान की स्थापना के साथ मौन पूर्वक आराधना करेगें। आचार्यश्री की साधना निर्विघ्न सफल हो इसके लिए श्रावक- श्राविका उपवास व आयंबिल का तप की तपस्या की जाएगी। सूरिमंत्र की साधना के शुभारम्भ में कुंभ स्थापना, दीपक स्थापना, क्षेत्रपाल पूजन, गुरूपादुका पूजन, आचार्य भगवंत को सूरिमंत्र पट्ट बोहराने, आसन बोहराने, वस्त्र बोहराने, माला बोहराने, गुरू पूजन करने आदि का सम्पूर्ण लाभ श्रीमान राजेशचंद, सुधीशचंद, प्रवीणचंद, पवनचंद मालू परिवार सिवनी वालों ने लिया।