जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर द्वारा बच्चों के लिए आयोजित ऑनलाइन जाम्भाणी संस्कार शिविर के दूसरे दिन जाम्भाणी साहित्य अकादमी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और जाम्भाणी साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान डॉ कृष्णलाल बिश्नोई ने बताया कि गुरु जाम्भोजी का उपदेश सर्वहितकारी और प्राणी मात्र के लिए था। उन्होंने गुरु जाम्भोजी के संपर्क में आने वाले राजाओं और राजवर्ग के लोगों की ऐतिहासिक जानकारी बच्चों को उपलब्ध करवाई।
अकादमी के प्रेस संयोजक पृथ्वी सिंह बैनीवाल ने बताया कि दूसरे सत्र में विभिन्न भाषाओं के विशेषज्ञ विद्वान शंकरलाल शास्त्री भोजाकोर ने बिश्नोई पंथ की स्थापना और इसके धर्म,नियम तथा स्वरूप के बारे में विसद् विवेचन किया।
तीसरे सत्र में पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ हरिराम बिश्नोई ने जाम्भाणी संतों का समाज को योगदान के बारे में प्रकाश डालते हुए बताया कि तरूवर, सरोवर, बरसात की तरह संत सदैव ही परोपकार करते हैं, उनकी प्रत्येक क्रिया समाज के भले के लिए ही होती है, समाज उनका कभी उऋण नहीं हो सकता। वहीं, हिसार से डॉ नेहा बिश्नोई ने बच्चों को व्यक्तित्व विकास की महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराते हुए कहा कि पुस्तकें हमारी मित्र होती है, महापुरुषों की जीवनी और संस्मरण पढ़ने से हमें पता चलता है की उन्होंने कैसी विषम परिस्थितियों में अपनी सफलता की राह बनाई थी।
संस्कार शिविर के राष्ट्रीय संयोजक स्वामी सच्चिदानंद आचार्य और अकादमी के महासचिव डॉ सुरेन्द्र बिश्नोई ने भी शिविर में आशिर्वचन कहे। डॉ सुरेंद्र बिश्नोई ने बताया कि इस पांच दिवसीय संस्कार शिविर में देशभर के बच्चे बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं। शिविर में आगामी दिनों में विभिन्न ऑनलाइन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाएंगी। इस शिविर का ज़ूम एप्प पर आयोजन किया जा रहा है।
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शिविर में उद्बोधन देते बीकानेर निवासी डॉ कृष्णलाल बिश्नोई।