बीकानेर, 15 मार्च। करमीसर के जैन समाज के कोचर जाति की कुलदेवी विशला माता के करीब पांच शताब्दी प्राचीन मंदिर में संक्रांति व ध्वजा प्रतिष्ठा महोत्सव देवी की विशेष पूजा, आरती, भक्ति गीत व जोत के साथ सोमवार को आयोजित किया गया। जैन श्वेताम्बर तपागच्छ की साध्वीश्री सौम्यप्रभा, बीकानेर मूल की साध्वीश्री सौम्य दर्शना, साध्वीश्री अक्षय दर्शना और जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री श्रद्धानिधि के सान्निध्य में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने प्राचीन मंदिर में दर्शन किए। साध्वीवृृंद का जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्रीसंघ की ओर से श्रीमती कुसुम जैन भदाणी, श्रीमती सोहनी देवी कोचर व विनीता सिरोहिया ने कम्बली ओढाकर सम्मान किया।
साध्वीश्री सौम्य प्रभा ने मासिक संक्रांति पाठ सुनाया तथा प्रवचन में कहा कि विशला माता के मंदिर में श्रद्धा व विश्वास के साथ 27 दिनांे तक दर्शन व परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना देवी पूर्ण करती है। उन्होंने कहा कि देव, गुरु व धर्म के प्रति आस्था, श्रद्धा व विश्वास रखें तथा देव मंदिरों में नियमित पूजा, अर्चना व भक्ति करें। बीकानेर मूल की साध्वीश्री सौम्य दर्शना ने कहा कि कोचरों के चैक के प्राचीन मंदिरों में नियमित पूजा व अर्चना और दर्शन का नियम बनाकर भक्ति करें। रोग, शोक, कष्ट को दूर करने और सुख, सम्पति व वैभव प्राप्ति के लिए नियमित आयम्बिल की तपस्या करें। गुरु वल्लभ के आदर्शों का स्मरण दिलाते हुए उन्होंने कहा कि आपसी मन मुटाव व वैमनस्य को दूर कर जैन समाज की एकता व विकास के लिए कार्य करें। अपने स्वभाव में सरलता, दया, विनम्रता लाएं। अहंकार व अभिमान और पापकर्मों से बचे, दुर्लभ मनुष्य जीवन में मोक्ष व परमगति की प्राप्ति के लिए साधना,आराधना व भक्ति करें।
श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्रीसंघ व कोचर फ्रैण्डस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में हुए महोत्सव में जितेन्द्र कोचर ने आचार्यश्री गुरु वल्लभ के आदर्शों व देवी विशला माता मंदिर के बारे में अवगत करवाया। संक्रांति भजन ’’श्री गुरु वल्लभ के चरणों में में नित उठ शीश नवाता हूं’’ परम्परानुसार कमलचंद कोचर ने प्रस्तुत किया। करीब तीन घंटें चले समारोह में रौनक, नव रतन, अमित व महेन्द्र कोचर और सुन्दर लता कोचर ने भक्ति रचनाएं प्रस्तुत की। ध्वजा का लाभ आनंदमल, मंगलचंद व सोहन लाल कोचर परिवार ने लिया। साध्वीश्री का नियमित प्रवचन मंगलवार से सुबह नौ से दस बजे तक कोचरों के नए पुरुष उपासरे में होगा।