

नई दिल्ली : कांग्रेस के शीर्ष नेता और लोकसभा सांसद राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता को खो चुके है. अगर ऊपरी अदालत से उन्हें राहत नहीं मिलती हैं तो राहुल गांधी 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. ऐसा हुआ तो वायनाड से लोकसभा सीट रिक्त हो जायेगी और उप चुनाव में प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ाकर लोकसभा में पहुंचाना राहुल गांधी और कांग्रेस की सबसे बड़ी जरूरत बन सकती हैं।
हालाकि आने वाले राजनितिक तूफ़ान को अनदेखा करते हुए राहुल गांधी फिलहाल आत्मविश्वास दिखाते हुए कह रहे हैं की “मैं भारत की आवाज़ के लिए लड़ रहा हूं. मैं हर क़ीमत चुकाने को तैयार हूं.” लेकिन यह सच उन्हें राजनीतिक शीर्ष पर पहुंचाने के लिए काफ़ी नहीं होगा, क्योंकि बाक़ी छह मामले भी उन पर दर्ज हैं जिनमें से किसी में भी उन्हें राहत मिल सकती हैं मुश्किल लगता हैं.
बहरहाल राहुल गांधी मामले में उद्धव ठाकरे कहते हैं कि “चोर को चोर कहना अब हमारे देश में एक अपराध बन गया हैं, चोर और लुटेरे अभी आज़ाद है और राहुल गांधी को सज़ा दे दी गई. हैं.”
विपक्ष द्वारा इस मामले में एकजुटता के साथ लड़ाई लड़ने की बात भी की जा रही हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं की “आज देश में जो चल रहा है वह खतरनाक और तानाशाही है, वन नेशन वन पार्टी के एजेंडे को लागू करने से रोकने हेतु मिलकर जनतंत्र को बचाना हैं.”
पर क्या यह मामला इतना ही सही हैं जितना बताया जा रहा हैं.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का इस मामले में बयान ज्यादा निकट लगता हैं कि “राहुल गांधी गैर जिम्मेदार, अपरिपक्व और अमर्यादित नेता हैं जो जैसा करता हैं उसको वैसा परिणाम भोगना पड़ता हैं.”
इतिहास गवाह हैं कि राहुल गांधी द्वारा राजनितिक मामलो में सरकार को खरी खोटी बाते सुनाने के साथ ही कड़वे शब्द बोलते रहे हैं, इसी के परिणाम स्वरूप वे आधे दर्जन से ज्यादा दर्ज आपराधिक मामलो में ज़मानत पर हैं, और आश्चर्य नहीं होना चाहिए की उन्हें इनमें से किसी और मामले में 2024 लोकसभा चुनाव के पूर्व तक सजा सुना दी जाए.
आइए ऐसे सारे मामलों पर नज़र डालते हैं, जिनमे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को जमानत मिली हुई है.
वर्तमान में – सुरत में सज़ा के बाद ज़मानत मिली हैं.
– दिसंबर 2015 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर नेशनल हेराल्ड केस में राहुल गांधी जमानत पर हैं. राहुल गांधी और उनकी माताजी सोनिया गांधी को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत मिली हैं.
– बीजेपी नेता और बिहार के तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील मोदी द्वारा दायर मानहानि मामले में पटना की एक अदालत से राहुल गांधी को 6 जुलाई 2019 को जमानत मिली थी.
– जिला सहकारी बैंक अहमदाबाद द्वारा एक मामला राहुल गांधी पर दर्ज कराया गया था, 12 जुलाई 2019 को राहुल गांधी को मानहानि के इस मामले में अहमदाबाद की एक कोर्ट ने जमानत दे दी थी. बता दें कि राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि नोटबंदी के दौरान नोटों की अदला-बदली के एक घोटाले में अहमदाबाद का सहकारी बैंक शामिल था।
_राहुल गांधी द्वारा पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को “बीजेपी-आरएसएस विचारधारा” से जोड़ने वाली टिप्पणी पर मुंबई में आरएसएस कार्यकर्ता द्वारा राहुल गांधी पर मानहानि का मामला दर्ज कराया था जिसमें 4 जुलाई 2019 को मुंबई की एक अदालत ने 15 हजार रुपये के निजी मुचलके पर राहुल को जमानत दी हैं.
– आरएसएस के एक कार्यकर्ता ने महाराष्ट्र के भिवंडी में राहुल गांधी द्वारा इस बयान पर मुकदमा दर्ज कराया था जिसमें राहुल गांधी ने कहा था कि RSS ने महात्मा गांधी की हत्या की है।
नवंबर 2016 में भिवंडी में उन्हें इस मामले में भी जमानत मिल गई हैं, विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट ने भी राहुल गांधी को इस तरह की ‘सामूहिक’ टिप्पणी के लिए फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि उन्हें मुकदमे का सामना करना होगा और अदालत में अपनी बात भी साबित करनी होगी.
– आरएसएस द्वारा मानहानि का एक और मामला गुवाहाटी में दर्ज कराया था, सितंबर 2016 में 50000 रुपये के मुचलके पर राहुल गांधी को इस मामले में भी जमानत मिल गई थी. राहुल गांधी के द्वारा झूठ बोलने के बाद यह मामला दायर किया गया था कि उन्हें आरएसएस द्वारा दिसंबर 2015 में असम के बारपेटा सत्र में प्रवेश करने से रोका गया था।
उपरोक्त घटनाक्रम से लाज़मी लगता हैं की राहुल गांधी की कोर्ट में घेराबंदी 2016 से ही की जा रही थी और वे इसकी गंभीरता जाने बिना इस दलदल में और उलझते या उलझाते गए।
उल्लेखनीय हैं कि राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना, विधि बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना आदि.
राजनीति कि शुरुआत रामायण काल से भी अति प्राचीन है. महाभारत महाकाव्य में इसका सर्वाधिक विवरण देखने को मिलता है, चाहे वह चक्रव्यूह रचना हो या चौसर खेल में पाण्डवों को हराने कि राजनीति हो. यानी कि युद्ध और प्यार में सब जायज़ हैं. राहुल गांधी द्वारा ज़ुबानी हमलों की हकीकत जानते हुए ही 2016 से उन्हें अदालती मामलों में निरंतर उलझाना जारी रखा गया फिर भी वे इसके जोखिम को नही समझे.
विदित हो कि, जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई हो तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है. इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं।
जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 8(4) के प्रावधानों के अनुसार, एक मौजूदा सांसद/विधायक, दोषी ठहराए जाने पर, 3 महीने की अवधि के भीतर फैसले के खिलाफ अपील या पुनरीक्षण आवेदन दायर करके पद पर बना रह सकता था. इसे 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. 2013 के फैसले के अनुसार, अब यदि एक मौजूदा सांसद/विधायक को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है, तो उसे दोष सिद्ध होने पर तुरंत अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा (सजा दिए जाने पर नहीं) और सीट को खाली घोषित कर दिया जाएगा.
वैसे भी अब तक इस कानून के तीन दर्जन से ज्यादा नेता शिकार बन चुके हैं।
तो अब सवाल यह उठता है कि इसका अगला शिकार राहुल गांधी बन रहें हैं? और प्रियंका गांधी को लोकसभा में नेता बनकर लाना कांग्रेस की मजबूरी होगी.
यानी कि लोकसभा में आने वाला समय प्रियंका गांधी वाड्रा का ही संभव हैं।
वायनाड लोकसभा सीट केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमाओं को जोड़ती है, ऐसे में प्रियंका गांधी का यहां से चुनाव लड़ना एक तरह से पूरे दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व हो सकता हैं. वैसे भी वे 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के साथ चुनाव संचालन कर इस क्षेत्र में काफ़ी सम्मान और पहचान प्राप्त कर चुकी हैं।
कुल जमा फिलहाल राहुल गांधी का लोकसभा में राजनैतिक भविष्य मुश्किल लगता हैं, और राजनीति में प्रियंका गांधी किसके लिए खतरा साबित होगी।