श्रीमद् भागवत कथा है सब ग्रंथों का सार- गोविंद किशोर
डीडवाना। आज के इस मानव कलयुग में मनुष्य के मोक्ष का सरल उपाय श्रीमद् भागवत कथा श्रवण ही है जिसके सुनने से मनुष्य के जन्म-जन्मान्तरों के पाप धुल जाते है। यह उद्बोधन स्थानीय गणपति नगर स्थित अमृत कॉलोनी में कुआं खेजड़ी वाले बालाजी मंदिर मे चल रही श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर वृंदावन धाम के पं.गोविंद किशोर पांडे ने कहे। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब-जब भारत भूमि पर अत्याचारी और आसुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ा तब-तब भगवान श्रीपति श्रीमन्नारायण स्वयं भारतवर्ष की इस पुण्यभूमि पर स्वयं विविध अवतारों के स्वरूप में प्रकट हुए और सनातन संस्कृति और पीडि़त मानवता की रक्षा की। उन्होंने बताया कि अत्याचारी कंस के पापों की जब अति हो गई तो भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा में दुष्ट कंस के कारागार में बंदी श्री वासुदेव देवकी के पुत्र के रूप में अवतार लिया और बृज मण्डल में अपनी बाल लीलाओं के माध्यम से आमजन में उत्साह और जागृति का संचार किया। उन्होंने बताया कि भागवत ग्रन्थ वो पुराण है जिसमें सभी पुराणों का सार विस्तारपूर्वक दर्शाया गया है। इस पुराण में भगवान के सभी अवतारों की लीलाओं का वर्णन बताया गया है। उन्होंने कहा कि इस कथा का रसपान सर्वप्रथम नेमीशारण्य तीर्थ पर सत्यवादी राजा परीक्षित को व्यास पुत्र शुकदेव मुनि ने हजारों ऋषि मुनियो के साथ करवाया था। इस कथा का श्रवण करने संसार के सभी जातियों के पशु पक्षी, जानवर, नाग, किन्नर, गंधर्व व प्राणियों ने भक्तिभाव से एकाग्रित होकर सुना। उन्होंने कहा कि ज्ञान वैराग्य भक्ति का त्रिवेणी संगम श्रीमद् भागवत कथा पुराण से ही मिलता है। भागवत कथा पुराण श्रवण से मनुष्य के जन्म जन्मान्तरों के पाप धुल जाते है। यही एक ऐसा पुराण है जो मनुष्य के जीवन के जीवन को बदल सकता है। जिस पुराण को सुनने के लिए स्वयं भगवान को भी अप्रत्यक्ष रूप में आना पड़ा। राजा परीक्षित को श्राप लगने के बाद उनका उद्धार कैसे हो इसी उद्देश्य के साथ सात दिन तक परीक्षित ने कथा श्रवण किया जिसका रसपान बालस्वरूप वैद व्यास पुत्र शुकदेव मुनि ने करवाया। जहां कहीं भी श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण होता है वहां अप्रत्यक्ष रूप में स्वयं श्रीमन्न नारायण व नारद मुनि विराजमान रहते है। उन्होंने कहा कि भगवान ने सुदामा की मित्रता को अजर अमर कर दिया और इस मित्रता के माध्यम से समस्त मानव जाति को यह बता दिया कि सच्चा मित्र ही जीवन का सच्चा साथी हो सकता है। इसमें गरीब और अमीर नहीं देखा जा सकता। मित्रता के भाव वात्सल्य प्रेम के होने के चाहिए और यही प्रेम भगवान कृष्ण और सुदामा के बीच रहा। श्रीमद् भागवत कथा के शुभारंभ से पूर्व मुख्य यजमान के रूप में महेश कुमार अग्रवाल ने सपत्नीक पूजन किया वहीं नंदकिशोर सोनी, भंवरलाल वर्मा, मुरली मनोहर सांखला, जीवनराम पंवार, जयप्रकाश गौड़, गोपाल, बाबूलाल ने भी यजमान के रूप में पूजन किया। इस दौरान अनेक महिला-पुरुष श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
आज होगा हवन पूजन का आयोजन
व्यवस्थापक महेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर शुक्रवार को प्रातः 8 बजे कुआं खेजड़ी वाले बालाजी मंदिर परिसर में हवन पूजन का आयोजन किया जाएगा जिसमें अनेक श्रद्धालुगण हवन में आहुतियां देगें।