– मनमानी के चलते कोटा से श्रीगंगानगर किया ट्रांसफर
– हाईकोर्ट के दखल के बाद जेईएन को मिली क्लीनचिट

कोटा, । कूटरचित दस्तावेज और षड्यंत्र करके अपने ही सह कर्मचारी को मानसिक प्रताड़ना का मामला सामने आया हैं। मामले में शिकायतकर्ता राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम के कनिष्ठ अभियंता कोटा विज्ञान नगर निवासी आमीर हबीब ने बताया कि वह पूर्व में कनिष्ठ अभियंता प्रथम के पद पर सहायक अभियंता 132 केवी जीएसएस महावीर नगर जिला कोटा में कार्यरत थे जहां पर सहायक अभियंता सुश्री बिंदिया वर्मा भी कार्यरत थी। हबीब ने बताया सहायक अभियंता उनसे रंजिश थी और छोटी-छोटी बातों पर शिकायत दिया करती थी। शिकायतों के दौरान जो भी स्टाफ जीएसएस महावीर नगर एवं मंडाना टाउन में कार्यरत था वह भी प्रार्थी के खिलाफ हो गए। मामले में कार्रवाई आगे बढ़ी तो विभाग ने कोटा से 900 किलोमीटर दूर श्रीगंगानगर में स्थानांतरित कर दिया गया। जिसे बाद में हाईकोर्ट के आदेश के बाद पूर्न बहाल किया गया।

– बिना नोटिस सस्पेंड किया, झूठे आरोप लगाएं

आमिर हबीब ने बताया कि उच्च कर्मचारियों द्वारा उस पर झूठे आरोप लगाए गए। बिना नोटिस दिए विभाग द्वारा सस्पेंड कर दिया और भेदभाव पक्षपात मनमानी करते हुए श्रीगंगानगर लगाया गया जबकि कोटा के समीप लगाए जा सकता था। जेईएन मामले की जांच जयपुर विभाग में चल रही है। लंबे समय तक सस्पेंड लगभग एक साल तक चक्कर काटने के बाद मानसिक एवं शारीरिक तथा पारिवारिक रूप से परेशान अभियंता आमिर ने अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न से परेशान होकर माननीय उच्च न्यायालय हाई कोर्ट में याचिका दायर की और हाईकोर्ट द्वारा वापस सस्पेंड वाली जगह बहाल करके लगाने का आर्डर निकाला लेकिन उसके बाद भी जयपुर विभाग के अधिकारियों एवं उच्च अधिकारियों ने सस्पेंशन वाली जगह पर बहाल नही किया। आदेश को लेकर विभाग ने नहीं सुनी बाद में कोर्ट की अवहेलना कंटेंप्ट आफ कोर्ट की कार्रवाई की जिसमें कई अधिकारी व उच्च अधिकारियों के खिलाफ याचिका दायर की गई तब फिर जाकर हाईकोर्ट के आदेश को देखते हुए आमिर हबीब को कोटा पदस्थापन किया गया। अब अधिकारियों पर हाई कोर्ट के आदेश के तहत कोर्ट की अवहेलना का केस चल रहा है संपूर्ण कहानी कनिष्ठ अभियंता के साहस, निश्चय एवं मेहनत लग्न की मिसाल को दर्शाता है।

कनिष्ठ अभियंता के खिलाफ बेबुनियाद एवं गलत बयानबाजी करने में राज्य विद्युत प्रसारण निगम के सहायक अभियंता लखन लाल शर्मा, अतुल मेहरा, विशाल गोयल, चित्रा नागर, बिंदिया वर्मा, बीएम नागर, एके अग्रवाल, डीके गुप्ता, विवेक जैन, शालिनी राय, मनमोहन मीणा एवं अन्य कर्मचारी राजेश सैनी, राकेश कुमार, प्रदीप गौतम, बाबूलाल, संतोष, अनुराधा जांगिड़, दीपिका सैनी, लक्ष्मी अग्रवाल अन्य सम्मिलित हैं तथा 220 केवी सकतपुरा डिवीजन एवं 132 केवी महावीर नगर जीएसएस के लोग शामिल है सभी पर हाई कोर्ट में मामला लंबित है।

– पिता की हुई बाईपास सर्जरी, कोरोना टेस्ट भी करवाया
पीड़ित अभियंता आमिर हबीब ने बताया उनके पिता की बाईपास सर्जरी हुई एवं माताजी हमेशा बीमार रहती है। फिर भी स्थानांतरण श्री गंगानगर कर दिया जबकि कोटा के आसपास किया जा सकता था विभाग द्वारा पीड़ित का कोरोना टेस्ट भी करवाया गया और अन्य कर्मचारी का कोरोना टेस्ट नहीं करवाया गया। अभियंता से भेदभाव रखते हुए जबरन मेडिकल मांगा गया जिस पर डॉक्टर द्वारा लेटर पैड पर नॉन पॉजिटिव कोरोना प्रमाण पत्र भी पेश किया। उक्त मामले में पीड़ित अभियंता का कहना है मेरे खिलाफ बेबुनियाद व निराधार मामला बनाया जिससे मेरा कोई संबंध नहीं है यह एक साजिश के तहत जबरन जांच करवाई गई मानसिक रूप से परेशान किया गया। मेरे विरुद्ध जानबूझकर भ्रामक व मिथ्या सूचनाएं फैलाई और मीडिया में दुष्प्रचार किया। उच्च अधिकारियों से परेशान जेईएन ने बताया कि उसे आत्महत्या के लिए भी उकसाया गया।

– जेईएन को बताया आंतकी, धूम्रपान और अश्लीलता का भ्रम फैलाया
कनिष्ठ अभियंता आमिर ने बताया कि विभाग की शिखा राठौर ने उन पर 6 जून 2020 को आरोप लगाते हुए आमिर पर बदसलूकी, ट्रेरर फैलाने, दंगा बढ़ाने वाला व्यक्ति बताते हुए भी उसे मनमानी जांच के तहत प्रूफ करते हुए प्रमाणित कर दिया यही नहीं प्रार्थी की विरुद्ध अन्य और भी निम्न अभियुक्त गण द्वारा आरोप लगाए गए जिसमें महिलाओं से बदतमीजी करना, जीएसएस परिसर में मीट नॉनवेज पकाना, कंट्रोल रूम में सिगरेट पीना, अश्लील फिल्में देखना, बिना बताए ड्यूटी से नदारद रहना, वीडियो गेम खेलना, सांप्रदायिकता करना तथा दंगे भड़कना अन्य प्रकार के आरोप लगाकर बेज्जती की गई, बाद में स्वयं शिखा राठौर लिखित बयान दिए जिसमें बताया मुझसे उच्च अधिकारियों ने दबाव में बयान दिलाएं, जिससे हताश जेईएन अमीर हबीब ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। मामले में कनिष्ठ अभियंता ने ऊर्जा मंत्री बीड़ी कल्ला सहित राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष आबिद कागजी और प्रबंधन निदेशालय राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम एवं सचिव, मुख्य अभियंता सहित राज्य सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक न्याय की गुहार लगाई।