मैंने कल के विशेष संपादकीय में लिखा था कैप्टन अमरिंदर सिंह के दोहरे चेहरे को पंजाब स्वीकार नहीं करेगा और यह भाजपा के लिए बड़ा घाटे का सौदा भी हो सकता है इस संदर्भ में हमारा मानना करीब-करीब ठीक निकला क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी अमित शाह की मुलाकात के बाद दिल्ली से लौटते हुए कहा कि वे भाजपा में नहीं जा रहे हैं और न कांग्रेस में रहेंगे जो साफ बयां करता है कि खुद भाजपा आलाकमान और कैप्टन अमरिंदर सिंह दोनों को ही यह गले नहीं उतर रहा कि भारतीय जनता पार्टी अमरिंदर सिंह को पंजाब में शक्ति का केंद्र बनाए क्योंकि कभी से उसके साथ चले आ रहे अकाली दल के संगठन का भारतीय जनता पार्टी से करीब करीब दूर हो जाना तय है ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को नफा क्या होगा यह तो कहा नहीं जा सकता लेकिन हां गोद के बेटे की आस छोड़ कर पेट के बेटे की आस करने जैसी कहावत अवश्य चरितार्थ हो जाएगी।
यहां मैं बयां करते चलूं कि पंजाब में भारतीय जनता पार्टी की आलाकमान को कांग्रेस की चिंता नहीं है क्योंकि उसे पता है कांग्रेस अपने सबसे बुरे दिनों की ओर तेजी से आगे बढ़ रही है पंजाब में भयंकर राजनीतिक कलह जग जाहिर है इसी तरह राजस्थान भी कलह का बहुत बड़ा केंद्र बन रहा है इन दो बड़े राज्यों में कांग्रेस पुनः वापस आ पाए लगता नहीं ऐसे में पंजाब में आम आदमी पार्टी का ही एकमात्र विकल्प बचता है क्योंकि वहां के तेजतर्रार नेता नवजोत सिद्धू पहले भाजपा को छोड़ चुके हैं उसके पश्चात वे अब कांग्रेस में भी संतुष्ट नहीं तो फिर रास्ता क्या होगा ऐसी विकट स्थिति में पंजाब की अवाम के सामने एकमात्र यदि कोई विकल्प शेष बचता दिखाई देता है तो वह आम आदमी पार्टी का हाथ पकड़ना ही शेष और कारगर लगता है।भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को यही स्थिति दिन रात खाए जा रही लगती है क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह के रूप में उसने कांग्रेस में तो विघटन करा दिया लेकिन ऐसी स्थिति में सारा फायदा आम आदमी पार्टी को होता दिखाई दे रहा है।पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव में बेशक आम आदमी पार्टी को बहुत कम सीटों पर संतोष करना पड़ा लेकिन बहुत सीटें ऐसी भी थी जो सौ दो सौ तीन सौ के अंतराल से आम आदमी पार्टी के हाथ नहीं आई इससे यह भी समझा जा सकता है कि इस बार कमोबेश ऐसी स्थिति ना आए और वहां का मतदाता खुलकर आम आदमी पार्टी को अपना वोट व सपोर्ट दे।हां राजनीतिक दृष्टि से यह इतना आसान भी नहीं कि पंजाब में आम आदमी पार्टी आ जाए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय ही यह है कि जिस आम आदमी पार्टी को वह अपनी पूरी ताकत लगाकर दिल्ली में दोबारा आने से नहीं रोक सकी वह यदि पंजाब जैसे पूर्ण राज्य में सत्तासीन हो गई तो उसके आगामी परिणाम क्या होंगे। क्योंकि ऐसा होने से आम आदमी पार्टी के पास पुलिस फोर्स व दूसरी सुरक्षा एजेंसियां और खुफिया एजेंसियां हाथ में आ जाएंगी जिसके चलते वह पूरे देश में राजनीतिकों व आला अफसरों की रैकी करवा सकती है ऐसा होने से देश के बड़े-बड़े हुक्मरान नेता अधिकारी लपेटे में आएंगे और एक नई स्थिति भारतीय राजनीति के गलियारों में देखने को मिलेगी जिसका भारतीय जनता पार्टी को सहज आकलन है इसीलिए उसकी सारी चालें आम आदमी पार्टी को पंजाब में सत्तासीन होने से रोकने की हैं। देखना है आगे होता है क्या।

भारती भाई।
खेतड़ी, राजस्थान।