जयपुर।प्रदेश में जिला स्तर पर प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ करने और संबंधित अधिकारियों को अधिक जवाबदेह बनाने के लिए पर्यवेक्षण व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार करने का निर्णय लिया है। नई व्यवस्था में संभागीय आयुक्त को संबंधित संभाग के सभी जिलों के समस्त कार्यों के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी दी जाएगी।
इस संबंध में मुख्य सचिव श्री राजीव स्वरूप की ओर से प्राप्त प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है। प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रस्ताव के अनुसार, प्रदेश में राज्य स्तर से ग्राम स्तर तक योजनाओं और कार्यक्रमों की प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए प्रशासन की दो अलग-अलग समानान्तर व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। इसलिए जिला स्तर पर पर्यवेक्षण के लिए संभागीय आयुक्त को अधिक जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया गया है।
संभागीय आयुक्त को संबंधित संभाग के सभी जिलों के समस्त कार्यों के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी दी है। इसके अनुसार, अब संभागीय आयुक्त अपने संभाग के प्रत्येक जिले में प्रत्येक माह में कम से कम दो दिन तक भ्रमण पर रहेंगे और जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ बैठकें कर विभिन्न योजनाओं और विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा करेंगे। साथ ही, संभागीय आयुक्त जिला स्तरीय जन अभाव अभियोग कार्यवाही की समीक्षा करेंगे और स्वयं भी जन सुनवाई करेंगे।
जिला स्तर पर प्रशासनिक पर्यवेक्षण व्यवस्था में उक्त बदलाव के साथ ही सचिव एवं उच्च अधिकारियों को पूर्व की भांति एक-एक जिला आवंटित रहेगा। यह प्रभारी सचिवगण राज्य स्तरीय कार्यक्रम अथवा योजना के शुभारंभ और अन्य आवश्यकता होने पर अपने आवंटित जिले में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे।