1977 में जनता पार्टी के टिकट पर सूरतगढ़ से एमएलए बने थे, आरएसएस के कार्यकर्ता थे, वास्तविकता ये है कि गंगा नगर जिले में आरएसएस की नींव के पत्थर थे,जनता पार्टी अलग अलग घटकों से मिलकर बनी थी,उस समय के इस जिले की 10 विधानसभा सीटों पर समाजवादी और लोकदल के लोग ही चुनाव ही लड़े थे जनसंघ के हिस्से एक मात्र सूरतगढ़ सीट अाई थी,अब मुझे याद नहीं हो सकता है पूरे बीकानेर संभाग में ही एक सीट हो। इस प्रकार छाबड़ा जी की अहमियत और हैसियत उस दौर में संघ के हल्के में कैसी थी, अंदाजा लगाया जा सकता है। आज के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद जी कटारिया उस समय के कैडर के हिसाब से इनसे जूनियर थे। तब तक छाबड़ा जी की शादी ही नहीं हुई थे ,30 साल से कम उम्र थी,आपतकाल के खिलाफ में इनका संघर्ष और कुर्बानियां थी। मैं दावे से कह सकता हूं कि निहायत ही ईमानदार और समर्पित कार्यकर्ता थे।कभी सूरतगढ़ में चाय का खोखा लगाते थे,मोदी जी की चाय पीनेवाला तो कोई मिला नहीं,इनकी चाय पीनेवाले आज भी मिल जाएंगे।
2013 में भाजपा की सरकार अाई161 सीटों के साथ और 2014 में केंद्र में मोदी जी की सरकार अाई, दोनों जगह आरएसएस के सेवकों की सरकार,हिंदुत्व के झंडा बरदार,राजस्थान और केंद्र में सारे ही उनके जूनियर रहे मंत्री।
छाबड़ा जी ने फिर आंदोलन सुरु किया,पूर्ण नशाबंदी के लिए,लंबी भूख हड़ताल केबाद भी कोई बंदा संघ की राज्य और केंद्र सरकार से बात तक करने नहीं आया,जिस संगठन के लिए जीवन समर्पित किया था,उसने भी सुध नहीं ली,अंत में 2 नवंबर 2015 को प्राण त्याग दिए।उनके विचारधारा वाले मित्रों को उनकी मौत केबाद भी कोई परेशानी नहीं हुई। कटारिया जी उस समय राजस्थान सरकार के होम मनिस्टर थे।
उनकी मांगों से असहमति हो सकती है पर इंसान का जीवन तो नहीं जाना चाहिए,जो सत्ता में होते हैं उनका फर्ज बनता है, संवाद करके मसले का हल निकाले,फिर छाबड़ा जी तो उनके अपने थे।
2018 में कांग्रेस की गहलोत सरकार अाई,इस सरकार ने छाबड़ा जी की कुर्बानी को सम्मान दिया,सूरतगढ़ के राजकीय महाविद्यालय का नाम गुरशरण छाबड़ा राजकीय महाविद्यालय करके उन्हें श्रद्धांजलि दी।
आज छाबड़ा जी का जन्म दिवस है,हमारे मित्र थे,सुखदुख के साथी थे,कम्युनिस्ट विचारधारा के कभी कट्टर विरोधी होते थे,मेरा पहला परिचय भी इनसे श्याम चुध जी के साथ एक हॉट बहस के दौरान हुआ था,बाद में शायद कम्युनिस्टों के प्रति विभिन्न आंदोलनों में साथ रहने के दौरान कुछ नरम पड़े थे। पर ताजिंदगी रहे पक्के संघी,आरएसएस के स्वयसेवक —–
आज जन्म दिवस पर नमन,शोक श्रद्धांजलि। कुछ सबक भी हैं यदि इनके जीवन और बलिदान से कोई सीखे तो
Sabhar ADV Navrang Choudhry Ji ——