

रायपुर : छत्तीसगढ़ की सियासत का बड़ा आदिवासी चेहरा माने जाने वाले नंद कुमार साय जो तीन बार विधायक और पांच बार सांसद रहे हैं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. नंद कुमार साय ने बीजेपी से अपना इस्तीफा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को भेज दिया हैं.
बता दें कि अविभाजित मध्य प्रदेश में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके नंद कुमार साय तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हो चुके हैं. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद जब अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने, बीजेपी ने नंद कुमार को विधानसभा में विपक्ष का नेता की जिम्मेदारी दी थी.
नंद कुमार साय साल 1977 में पहली बार अविभाजित मध्य प्रदेश की विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. वे मध्य प्रदेश के विभाजन, छत्तीसगढ़ राज्य के गठन से पहले तीन बार विधायक रहे.
नंद कुमार साय ने अपने इस्तीफे की वजह पार्टी के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक मुझे जो भी जिम्मेदारी दी गई, उसे पूरे समर्पण के साथ निभाया. उन्होंने आरोप लगाया है कि पिछले कुछ साल में पार्टी के भीतर मेरी छवि धूमिल करने की कोशिशें हुई हैं.
छत्तीसगढ़ के कद्दावर आदिवासी नेता ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं. मेरी गरिमा को लगातार ठेस पहुंचाई जा रही है जिससे मैं बहुत आहत महसूस कर रहा हूं. उन्होंने अपना इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह करते हुए कहा है कि बहुत गहराई से विचार करने के बाद मैंने बीजेपी में अपने सभी पद और पार्टी की प्राथमिकता से इस्तीफा देने का फैसला लिया है.
नंद कुमार साय के इस्तीफे को लेकर छत्तीसगढ़ की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने विपक्षी बीजेपी के खिलाफ ट्वीट कर कहा है कि नंद कुमार साय के इस्तीफे ने बीजेपी का आदिवासी विरोधी चेहरा एक बार फिर बेनकाब किया है. बीजेपी देश और प्रदेश की आदिवासी जनता का विश्वास पहले ही खो चुकी थी, अब उसके ही सर्वोच्च आदिवासी नेता ने भी अविश्वास जता दिया है.
वहीं, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने नंद कुमार साय को कांग्रेस में शामिल होने का न्योता देते हुए कहा कि बीजेपी ने लगातार आदिवासी नेताओं की उपेक्षा की. उन्होंने विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि बीजेपी 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के आदिवासी सीटों पर जीती और प्रदेश में सरकार भी बनी लेकिन आदिवासी नेताओं की लगातार उपेक्षा की. इनमें नंद कुमार साय भी हैं. विदित हो कि छत्तीसगढ़ बनने से पहले नंदकुमार साय भी राज्य के मुख्यमंत्री बनने के दावेदारों में से एक थे. हालांकि, वह राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बन सके क्योंकि सरकार कांग्रेस की बनी थी. इसके साथ ही ये मौका उन्हें बाद में भी नहीं मिल पाया और कहीं न कहीं यही बात उनको खटकती रही.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष ने कहा कि नंद कुमार साय लगातार सार्वजनिक रूप से भी बयान देते रहे हैं. उन्हें बीजेपी में घुटन महसूस कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के दरवाजे नंद कुमार साय के लिए हमेशा खुले हुए हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने ये भी कहा है कि नंद कुमार साय अगर कांग्रेस पार्टी में आना चाहें तो उनका स्वागत है.
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने नंद कुमार साय के चुनावी साल में इस्तीफे से बीजेपी को नुकसान के सवाल पर कहा कि वे वरिष्ठ तो हैं. उन्होंने कहा कि अभी इस्तीफा आया है, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उस पर विचार करेंगे. इसे लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष, संगठन के लोग और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व नंद कुमार साय से बातचीत करेगा. पूर्व सीएम ने कहा कि उम्मीद है कि बातचीत से कोई हल निकल आएगा. उन्होंने ये भी कहा कि नंद कुमार साय से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है. उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है.
नंद कुमार साय को ज्यादा जानें
नंद कुमार साय का जन्म उस समय के मध्य प्रदेश के जशपुर जिले के छोटे से गांव भगोरा में हुआ हैं. बता दें कि उनके पिता का नाम लिखन साय और माता का नाम रूपानी देवी हैं. किसान परिवार में जन्मे नंद कुमार साय ने एनईएस कॉलेज से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की हैं.
नंद कुमार साय ने सरकारी नौकरी पाने के लिए भी तैयारी की थी और वो 1973 में नायब तहसीलदार के पद के लिए उनका चयन भी हो गया था. वो नायब तहसीलदार बन गए थे. हालांकि, नंद कुमार साय ने इस सरकारी नौकरी को नहीं किया.
नंदकुमार साय छात्र संघ के अध्यक्ष रहने के बाद सांसद, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष जैसे पदों पर पहुंचे. वे भाजपा संगठन में कई पदों पर रहे. वे 1980 से 1982 तक जिला रायगढ़ के अध्यक्ष रहे. उन्होंने 2003 से 2004 तक भाजपा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. इससे पहले उन्होंने मध्य प्रदेश भाजपा का मोर्चा भी संभाला था. वे भाजपा के महासचिव थे. उन्होंने राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी जैसे पदों पर भी कार्य किया था.
वह 14 दिसंबर 2000 से 5 दिसंबर 2003 तक छत्तीसगढ़ विधान सभा में विपक्ष के नेता भी रहे थे.
नंदकुमार साय को 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था और वह 2020 तक यानी 3 साल तक इस पद पर रहे.