

बिहार(सुपौल)ओम एक्सप्रेस ब्यूरों-त्रिवेणीगंज में व्यापारियों की मनमानी के सामने शासन-प्रशासन बौने है।लॉकडॉन 3 में बाजार क्षेत्र के दुकानें सरकारी दिशा-निर्देश से नहीं बल्कि व्यपारियो की मनमर्जी से खुलती है और बंद होती है। इतना ही नही कई दुकानदार बाहर से दुकान बंद कर के अंदर से सभी प्रकार के समान खुलेआम बेचती है। चाहे वह इलोक्ट्रॉनिक कपड़ा ,स्टेशनरी , जूता चप्पल से लेकर बाजार क्षेत्र के सभी दुकान सुबह पाँच बजे से नो बजे सुबह तक चलती है, और ग्राहक से मनमाना कीमत वसूलते हैं। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी पुलिस और प्रसासनिक अधिकारियों को नहीं होती है, पुलिस के द्वारा ऐसे दुकानदार पर कार्यवाही भी की जाती है लेकिन इसी दुकानदार के बीच ऐसे भी दुकानदार है जिसकी पहुच ऊपर तक है और वह किनी एक पार्टी के नेता भी होते है ऐसे स्थिति पुकिस ऐसे दुकानदार पर कार्यवाही करने में संकोच करती है।
बाहर से शटर बंदकर बिकती है समान
जरूरी और आवश्यक सेवा की बात दूर लगता है कि गैर आवश्यक समान के दुकानदारों का धैर्य लॉकडॉन 2 के साथ ही समाप्त हो गया है। इसका परिणाम है कि कमोबेश अधिकांश दुकानदार अपने दुकान के आगे खड़ा या बैठे रहते हैं और ग्राहक के आते ही अंदर ले जा कर समान उपलब्ध कराते रहते हैं। वेसे यह खेल पहले लॉक डॉन से बदस्तूर जारी है ।धीरे धीरे इसमें बढ़ोतरी हो रही है।इसके विपरीत सुबह 9 बजे से पहले बिना किसी भय के समान की बिक्री खुलेआम करते हैं।


मानी कीमत पर होती है बिक्री
लॉक डॉन में प्रसासनिक अमला की रहस्यमयी चुप्पी से समान खरीदने वाले को मनमाना कीमत अदा करना पड़ता है।ग्राहकों की मजबूरी यह है कि अगर वे कीमत पर मोल भाव करेंगे तो दुकानदार सीधे समान देने से मना करते हुए दुकान बंद रहने की बात सुना देते हैं। यही कारण है कि यहाँ एकाएक सभी समानो के कीमत में भारी उछाल आया हुआ है।
सुबह सुबह बाजार में खरीदारी के लिए ग्राहकों का जनसैलाब उमर पड़ता हैं साथ ठेला रिक्शा ,दो पहिया चार पहिया वाहनों की भारी भीड़ देखने को मिलती हैं। ऐसे दुकानदार शोशल डिस्टेन्स का मजाक बना देते हैं तड़के से दुकान खोल समान बेचने के चक्कर मे दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ जाती है और दुकानदार सोशल डिस्टेंस के नियमो को तक पर रख समन बेचने में मशगूल हो जाते है।इस समय लोग अब मास्क लगाना भूल जाते है।पहले प्रसासनिक और पुलिस अधिकारी भी नियमित गस्त लगते थे। लेकिन अब सुस्त पड़ गए हैं।
