

पं. रविन्द्र शास्त्री लेख.
02,अप्रैल,(शनिवार)
घटस्थापना मुहुर्त
06:16: से 08:24: तक
अभिजित मुहूर्त -11: 34 से 12: 24 तक सुभ हैं
कलश स्थापना प्रतिपदा यानी नवरात्रि के पहले दिन देवी शक्ति की पूजा के साथ की जाती है।
घटस्थापना के नियम
सूर्योदय के बाद यदि एक भी मुहूर्त प्रतिपदा में पड़ रहा है तो उसी दिन की सुबह से ही नवरात्रि शुरू होगी और कलश स्थापना या घटस्थापना की जाएगी।
- घटस्थापना का सबसे उत्तम समय दिन का पहला एक तिहाई हिस्सा है।
- किसी दूसरी स्थिति में अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है।
- चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग की अवधि में घटस्थापना करने से बचना चाहिए, पर यह समय पूरी तरह से वर्जित नहीं है।
- किसी भी परिस्थिति में घटस्थापना सनातन संस्कृति के अनुसार प्रतिपदा तिथि के दिन के मध्य से पहले होनी चाहिए।
- चैत्र नवरात्रि में प्रतिपदा की सुबह द्वि-स्वभाव लग्न मीन होता है, इस अवधि में भी घटस्थापना करना शुभ है।
- घटस्थापना के लिए शुभ नक्षत्र रेवती, अश्विनी, है
नोट – घटस्थापना सनातन संस्कृति के अनुसार प्रतिपदा के दिन के मध्य से पहले होनी चाहिए।
घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
- चौड़े मुँह वाला मिट्टी का एक बर्तन
- पवित्र स्थान की मिट्टी
- सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
- कलश
- जल (संभव हो तो गंगाजल)
- कलावा/मौली
- सुपारी
- आम या अशोक के पत्ते (पल्लव)
- अक्षत (कच्चा साबुत चावल)
- छिलके/जटा वाला नारियल
- लाल कपड़ा
- पुष्प और पुष्पमाला
ज़रूरत के अनुसार सामग्री बढ़ा भी सकते हैं, जैसे – मिठाई, सिंदूर इत्यादि।
घटस्थापना विधि
- पहले मिट्टी को चौड़े मुँह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएँ।
- अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बाँधें।
- आम या अशोक के पल्लव को कलश के ऊपर रखें।
- अब नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखें।
- नारियल में कलावा भी लपेटा होना चाहिए।
- घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान करते हैं।
आप चाहें तो अपनी इच्छानुसार और भी विधिवत पूजा कर सकते हैं।