– सामयिक लेख
जी। हां।मैं राजस्थान का उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र हूँ जिसमें चुरू,हनुमानगढ़,श्रीगंगानगर, बीकानेर,जैसलमेर,बाड़मेर,सिरोही,जालोर,पाली,राजसमंद,जोधपुर, नागौर जिले आते हैं।
इन दिनों नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो बहुत छाया हुआ है जो सभी प्रकार के नशीले पदार्थो पर रोक थम के लिये काम कर रहा है।
उतरी पश्चिमी राजस्थान में बड़े बड़े शहरों,कस्बो,गांवों और सुदूर ढाणियों तक में नारकोटिक्स का पर्याप्त चलन है।
अफीम का दूध,दूध से बना हुआ अफीम,डोडा,डोडा चुरा से लेकर भांग,गांजा,हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं।जितना चाहो जहाँ चाहो घर पर सप्लाई किया जाता है।यह अलग बात है कि उसकी कीमत मन मांगी ली जाती है तथा माल भी मिलावटी ही मिलता है।
बालक के जन्म दिन,सगाई,विवाह,मृत्यु पर तो अफीम गलने का रिवाज भी है।चाहे कहीं से लावो मगर अफीम तो लाना ही पड़ता है।बिना रिश्क लेना हो तो पुलिस लाइन में संपर्क करो माल तयार।
क्या नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने अपने सोर्स से कभी किसी के यहां छापा मार कर बरामदगी की है कभी।यहाँ तो क्विंटलों में अफीम की खपत होती है।
जैसलमेर,बाड़मेर,जोधपुर, बीकानेर नगरों के बाहरी क्षेत्रों में अनेक ठिकानों पर नशीले पदार्थ बेचने वाले एजेंट निर्धारित स्थानों पर ग्राहकों की प्रतीक्षा में बैठे रहते हैं।इस समय अफीम के दूध के भाव जहां डेढ़ लाख रुपये प्रतिकिलो बताए जाते हैं वहीं पर डोडा पोस्त के भाव 10 हजार रुपये किलो तक है।इन दिनों बिहार और बांग्लादेश से एक नया नशीला पदार्थ लोदी भी आता है जिसका नशा अफीम के दूध से पांच गुना ज्यादा है जो बीस हजार रुपये किलो बताई जाई है।हसीस, हेरोइन,गांजा आदि भी मिलता है।यह नशा अनेक युवक लेते हैं जिनका जीवन बर्बाद हो रहा है।
अगर कोई सवाल करे कि नारकोटिक्स पदार्थो पर रोक है और वे कहीं पर भी उपलब्ध नहीं है।इन पदार्थों के भंडारण,रखने,बेचने,खरीदने तथा उपयोग में लेने पर कठोर सजा का प्रावधान है यानी राजस्थान में यह नशा समाप्त हो गया तो सरकार नशामुक्ति शिविर लगाती है,चिकित्सालयों में नशा छुड़ाने के प्रयास करती है और अनेक ngo भी सरकारी अनुदान से चलते हैं फिर उनका ओचित्य क्या है।
अफीम की खेती या अन्य नशीले पदार्थ इस क्षेत्र में पैदा नहीं होते है जबकि उपभोक्ता इस क्षेत्र में।
अफीम डोडा मध्यप्रदेश के नीमच मंदसौर रतलाम से वाया कोटा, बूंदी,भीलवाड़ा ओर चितोड़ होते हुए आता है जबकि अन्य नशीले पदार्थ पाकिस्तान से आते हैं।जो इस व्यवसाय में संलग्न हैं उनकी पकड़ पुलिस पर पहले से ही होती है।
एक अभियान मुम्बई की तर्ज पर इन जिलों में भी चलाया जाना ही इस लाइलाज बीमारी का इलाज है।