हरप्रकाश मुंजाल, अलवर ।
सीधे, सरल, सादे इंसान, जिन्हें देखकर आप अंदाज नहीं लगा सकते हैं कि एक कस्बानुमा गांव से आया यह युवा पत्रकार इतनी जल्दी अपनी लेखनी से पत्रकारिता मे अपनी गहरी पैठ जमा लेगा । ये पत्रकार हैं श्री राज कुमार जैन, जिन्होंने दैनिक भास्कर में अपना डंका बजा रखा है ।
इन्होंने अपनी लेखनी से किसी को नही बक्शा है, ना तो स्थितियों को ना परिस्थितियों को और ना ही अपने मित्रों को । अपनी पत्रकारिता में इन्होंने अपनी मौलिकता को बनाये रखा । इनकी रिपोर्टिंग में शब्दों की स्पष्ट विवेचना दिखाई देती है । चिकित्सा विभाग में हो रही घोर अनियमिताओं कीआये दिन भंडाफोड़ कर रहे हैं । इन्होंने ना केवल सरकारी अस्पतालों में हो रही लूट खसोट की खबरे लिखी बल्कि निजी अस्पताल वालो की भी बखिया उधेड़ी । दैनिक भास्कर में आने से पूर्व ये राजस्थान पत्रिका में भी काम कर चुके हैं । पत्रिका में रहकर भी इन्होंने निर्भीक पत्रकारिता की मिसाल पेश की । मूलरूप से ये भरतपुर जिले की डीग तहसील के बहज गांव के रहने वाले हैं। 1995 में अलवर आये। दक्षिण भारत के केरल, कर्नाटक , तमिलनाडु और गोआ में 5 साल कपड़े का व्यापार करने के बाद वहां से दूरी ज्यादा होने के कारण पत्रकारिता की तरफ इनका रुझान हुआ और फिर कोटा ओपन यूनिवर्सिटी से बीजेएमसी की। 1998 में बीजेएमसी करने के बाद अरुण प्रभा के संपादक श्री सुनील बिज्जू जी के सानिध्य में इन्होंने पत्रकारिता की सही शिक्षा दीक्षा ली। बिज्जू जी ने इन्हें पत्रकारिता के गुर सिखाए । जिस मुकाम पर अब ये हैं उसका सारा श्रेय ये सुनील बिज्जू को देते है। शुरू में इन्होंने डेस्क पर काम किया लेकिन 1999 में सर्किट हाउस में दिल्ली से आये युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव बातचीत के लिए इन्हें बिज्जू जी ने सर्किट हाउसभेजा। फिर इनसे खबर लिखवाई। जब इन्होंने खबर लिखना शुरू किया तो पास में बैठे इनके सहयोगी श्रीप्रहलाद पुष्पद जी ने खबर देखी तो तारीफ की। इस होसला अफजाई से इन्हें बहुत ताकत मिली, जिसने आगे बढ़ाने का काम किया। मई 2001 में इन्होंने राजस्थान पत्रिका के अलवर संस्करण में ज्वायनिंग की। उन दिनों यहां संस्करण शुरू ही हुआ था। स्थानीय संपादक अनंत मिश्रा जी ने भी इन्हें खूब सहयोग किया । उन दिनों ये प्रशिक्षु उप सम्पादक थे लेकिन उन्होंने इनसे एक्सक्लुसिव खबरे लिखवाना शुरू कर दिया और इनकी पहली खबर बाई लाइन लगाई तो इनका हौंसला और बढ़ गया। संपादक श्री मिश्रा जी औऱ उनके बाद श्री हरिओम शर्मा जी और श्री अनूप सिंह जी ने इन्हें पत्रकारिता में बहुत सहयोग किया ,हौंसला बढ़ाया और खबरों को लेकर आइडिया दिये। पत्रिका में काम करते हुए ये जहां भी अटकता तो संकट मोचक के रूप सुनील बिज्जू जी से मार्गदर्शन के लिए पहुंच जाते ।औऱ दादा तुरंत इनकी समस्या का हल कर देते। अगस्त 2002 में इनका भरतपुर ट्रांसफर हुआ।
इन्होंने पत्रिका में अगस्त 2008 तकअपनी सेवाएं दी और इस दौरान मेडिकल , जिला प्रशासन और घना पर पर काफी एक्सक्लुसिव खबरे लिखी। इस कार्यकाल के दौरान तत्कालीन चिकित्सा मंत्री श्री दिगम्बर सिंह जी की डॉक्टर बेटी के खिलाफ खबर लिखने का भी मौका मिला । खबरे छपते ही हड़कम्प मच गया ।उन्है इस्तीफ़ा देना पड़ा हालांकि मंत्री दिगम्बर सिंह जी व्यवहार इनके प्रति बहुत ही अच्छा रहा और उस दौरान ये मिलते भी रहे। अगस्त 2008 में इनका सीकर ट्रांसफर हो गया। लेकिन वहां 4 महीने बाद ही पत्रिका को अलविदा बोल दिया और अलवर दैनिक भास्कर ज्वाइन कर लिया। यहां से भी 2 साल बाद भरतपुर ट्रांसफर कर दिया, लेकिन कुछ कारणवश जनवरी 2011 में भास्कर छोड़कर अपना निजी स्कूल संभाला। इस दौरान काफी उतार चढ़ाव आए और फिर 15 अगस्त 2013 में फिर से दैनिक भास्कर ज्वाइन करने का मौका मिला। तब से अभी तक भास्कर में इनकी सेवाएं चल रही हैं । 2003 में विधानसभा चुनाव के दौरान इनका धौलपुर भी ट्रांसफर किया गया, लेकिन 5 महीने बाद वापस भरतपुर आ गए । अब वर्तमान में अलवर अपनी सेवाएं दे रहे हैं । रिपोर्टिंग में धूम मचा रखी है । श्री राजकुमार जैन के उज्ज्वल भविष्य की हार्दिकशुभकामनाएं । राजकुमार जी आध्यत्मिक व्यक्ति है । ईश्वर पर पूरा यकीन रखते हैं । इनका मानना है बंसी वाले और भेरू बाबा की उन पर कृपा दृष्टि बने रहे । यही जीवन का सत्य है ।