

…….
किंग चार्ल्स ने आखिरकार भारतीय मूल के ऋषि सुनक को ब्रिटेन का प्रधानमंत्री नियुक्त किया है, ये भारत के लिए गर्व की बात है। सुनक के दादा दादी भारतीय थे और उनकी खुद की ससुराल बंगलूर में है। हालांकि उनका पाकिस्तान के गुजरांवाला से भी नाता है। भारतीय लोग इस बात से ही गौरवान्वित है कि जिस ब्रिटेन ने वर्षों भारत पर राज किया अब वहां का शासन एक भारतीय मूल के व्यक्ति के पास रहेगा।
बात यहीं समाप्त नहीं होती, ब्रिटेन की गृहमंत्री भी भारतीय मूल की सुएला होगी। पीएम और गृहमंत्री दोनों भारतीय मूल के होने की बात भारतवासियों के लिए तो खुशी की बात है। हालांकि ये तो आने वाला समय तय करेगा कि इन दोनों के ब्रिटेन में उच्च पदों पर आने से भारत – ब्रिटेन के संबंध कैसे रहेंगे। क्योंकि ब्रिटेन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तक भारत का वैसा समर्थक नहीं रहा है जैसा समर्थक वर्षों से रूस रहा है। भारतीय उम्मीद करते हैं कि शायद सुनक के आने के बाद ब्रिटेन का रुख भी भारत के लिए नरम होगा।
भारत – पाकिस्तान के आपसी संबंधों में तनाव पूरी दुनिया को पता है। कश्मीर का मसला इस तनाव का मूल कारण है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मसले पर भारत को दुनिया का वैसा समर्थन नहीं मिला है, जिसकी उम्मीद और हक़ भारत रखता है। सुनक के आने के बाद भारत मे ये अपेक्षा की जा रही है कि कश्मीर के मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ में अब भारत के पक्ष को मजबूती मिलेगी। हालांकि अब तक तो ये अपेक्षा ब्रिटेन ने पूरी नहीं की है। सुनक से उम्मीद करना गलत भी नहीं है। क्यूंकि पहले तो ब्रिटेन का झुकाव पाकिस्तान की तरफ ज्यादा भले ही न हो मगर पूरी तरह से भारत की तरफ भी नहीं था।
भारत जो दूसरी बड़ी समस्या का सामना कर रहा है वो है आतंकवाद की। ये वैश्विक समस्या है मगर भारत को सर्वाधिक पडौसी से समस्या है। सीमा पार के इस आतंकवाद से नित नई परेशानी भारत को फेस करनी पड़ रही है। भारत के पीएम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पडौसी के आतंकवाद को एक्सपोज कर दुनिया से समर्थन मांगते रहे है। संयुक्त राष्ट्र संघ में भी भारतीय प्रतिनिधि पडौसी की गतिविधियों को प्रमाणों सहित रखते रहे हैं। मगर जिस तरह का समर्थन भारत चाहता है, वो ब्रिटेन से अब मिलेगा, इसकी उम्मीद करना भी गैरवाजिब नहीं है।
भारत के पीएम आतंकवाद पर सभी देशों को मिलकर काम करने की बात कहते रहे हैं, क्यूंकि ये मानवता के विरुद्ध है। भारत तो आरम्भ से मानव अधिकारों व युद्ध के विरुद्ध रहा है। उसे अपने इस विचार के लिए ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस का भी समर्थन चाहिए। अब सुनक के आने के बाद यदि इस मसले पर भारतवासी ब्रिटेन से समर्थन की अपेक्षा करते हैं तो वो अनुचित भी नहीं है। यदि सुनक का समर्थन भारत के वाजिब पक्षों पर भी मिलता है तो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में व्यापक फेरबदल की उम्मीद राजनीति के जानकार पूरी दुनिया मे कर रहे हैं। क्या होता है, ये तो आने वाला वक़्त तय करेगा।
भारत का जीवन दर्शन कर्म का है और गीता भारत का आदर्श ग्रंथ है। सुनक ने जब पहले शपथ ली तो गीता ही उनके पास थी। इसका अर्थ ये है कि ब्रिटेन के नये पीएम भी कर्म के सिद्धांत और दर्शन को जीते हैं, यदि ये ही दर्शन उनके शासन में रहा तो भारत – ब्रिटेन के संबंधों में एक नया अध्याय शुरू होगा। भारत अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के रूप में उभरने की अपनी कोशिश में भी सफल होगा। सुनक ने भारत के लिए कई नई उम्मीदों और आशाओं को जन्म दिया है, जो स्वाभाविक भी है। बाकी तो समय ही सच को सामने लाता है। बहरहाल, एक भारतीय के ब्रिटेन पीएम बनने की बात हर भारतीय के लिए गर्व की बात तो है। फिर गृहमंत्री का भी भारतीय होना सोने में सुहागा है। आने वाला समय भारतीय दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिए खास होगा, ये तय सा लगता है।


- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार
