कल संसद के दोनों सदनों में विपक्ष यानी इंडिया गठबंधन के सभी सदस्य काले कपड़ों में दिखाई दिये, इससे पहले जीएसटी के दायरे में कई रोजमर्रा की वस्तुओं को लाया गया तब भी विपक्ष के कई सांसद काले कपड़ों में सदन में आये। मगर कल इन सांसदों की संख्या अधिक थी, कारण इंडिया गठबंधन का बन जाना। गठबंधन के धर्म का पालन करते हुए उसके सांसद इसी गणवेश में आये।
मल्लिकार्जुन खड़गे जो विपक्ष के नेता हैं राज्य सभा में, वे इस सत्र में काफी तीखे हमले सरकार पर कर रहे हैं। जब राज्यसभा से आप सांसद संजय सिंह को निलंबित किया गया तो इंडिया के सभी सांसद उनके पक्ष में आये। संसद इसी विपक्षी एकजुटता के कारण चल ही नहीं पा रही है। संसद के बाहर धरना दे रहे संजय सिंह के पास भी सभी विपक्षी दलों के सांसद बैठे। सोनिया गांधी, डिंपल यादव भी धरने पर बैठे संजय सिंह से मिलने गये। विपक्ष ने जब पहली बार संसद में काले कपड़े पहने तब भाजपा व सहयोगी चिंतित नहीं थे, मगर इस बार एकजुटता के कारण चिंतित है। लोकसभा अध्यक्ष भी गुस्से में दिखे तो राज्यसभा सभापति भी अचंभित दिखे। विपक्ष की इस तरह की एकता से भाजपा के नेताओं को परेशानी होती दिख रही है।
इसी कारण गृहमंत्री ने मणिपुर मुद्दे पर बहस के विषय में भावनात्मक पत्र खड़गे व अधीर रंजन को लिखा। जिसका खड़गे ने कड़े शब्दों में जवाब दिया और पीएम के इंडिया गठबंधन पर दिए बयानों पर नाराजगी जताई। उसी कड़ी में विपक्ष ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया और कल काले कपड़ों में आये।
विपक्ष जानता है कि अविश्वास प्रस्ताव वो जीतेगा नहीं मगर पीएम को सदन में आकर बोलना पड़ेगा। वे भी मणिपुर पर अपनी बात कह सकेंगे। विपक्ष मणिपुर को लेकर पूरे देश मे भाजपा व केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहा है। सदन में भी मत विभाजन की चर्चा चाहता है पर सत्ता पक्ष इस बात को मान नहीं रहा था। तब अविश्वास प्रस्ताव के जरिये पीएम व केंद्र सरकार पर हमला करने का माध्यम इस प्रस्ताव को बनाया है। सभी विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव पर बहस के दौरान हर मसले पर हमले की रणनीति बनाई है। विपक्ष भी भाजपा की तरह अब हर अवसर का उपयोग अगले आम चुनाव के लिए कर रहा है। अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान तीखी बहस व नोकझोंक तय सी लगती है। 10 सालों में पहली बार विपक्ष अपनी मर्जी चला सका है और भाजपा उसकी पिच पर खेलने को बाध्य हुई है। इसे इंडिया गठबंधन की मोरल विक्ट्री मानना चाहिए।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार