बीकानेर/हिसार/जोधपुर/सांचौर से- ओम एक्सप्रेस
जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर द्वारा आयोजित पंच दिवसीय जाम्भाणी काव्योत्सव कार्यक्रम का प्रथम दिवस सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया है। सर्वप्रथम राष्ट्रीय जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर के अध्यक्ष आचार्य श्री कृष्णानन्द ने संयोजक डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई, सहसंयोजक डॉ. हरिरामजी बिश्नोई, तकनीकी अधिकारी डॉ. लालचंद बिश्नोई एवं विकास बैनीवाल बिश्नोई भाग लेने वाले सभी कवियों, अध्यक्षता कर रहे भारत गौरव अवार्डी कवि व वरिष्ट पत्रकार पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई, विशिष्ट अतिथि कृष्णजी काकड़ आदि सभी विद्वजनों का ह्रदय की गहराइयों से आभार प्रकट किया। काव्योत्सव प्रथम दिवस के युवा कवि सम्मेलन में 18 कवियों ने भाग लिया और अपनी भागीदारी निभाई।
कुछ तकनीकी कारणों से कुछ युवा कवि अपने बीच अपनी प्रस्तुति नही दे पाये उसके लिए भी क्षमा, उम्मीद है सभी वक्तागणो और मंच से सभी के आशानुरूप प्रस्तुति रही है।
जाम्भाणी साहित्य अकादमी की तरफ से प्रायोजित पंच दिवसीय जाम्भाणी काव्योत्सव 20जून, 2020 शनिवार को शुरू हुआ। काव्योत्सव के प्रथम दिन युवा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें देशभर के कवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य श्री कृष्णानद के आशीर्वचन से हुआ, वहीं सम्मेलन की अध्यक्षता हिसार निवासी भारत गौरव कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल ने की और विशिष्ट अतिथि के रूप में आदमपुर के हास्य कवि कृष्ण कुमार काकड़ ने सम्मेलन में शिरकत की।

सर्वप्रथम डॉ. संतोष बिश्नोई ने कविता के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, वन्य सम्पदा की रक्षा और प्रकृति के पट खोले। बुद्धाराम ने राजस्थानी कविता सुनाकर मन मोह लिया। नोखा के सुनील भाम्भू ने हर प्रकार के नशों से दूर रहने वाली कविता सुनाई। आज से 535 वर्ष पूर्व श्री गुरु जाम्भोजी भी नशामुक्त समाज की शिक्षा दी थी।
सारा शारदा बिश्नोई ने पुराने पेड़ की व्याख्या की। जहन में बस्ते गाँव के बारे बताया। पेड़ तो आक्सीजन के कारखाने होते हैं। उन्होंने चार बहुत ही सुन्दर पंक्तियां अपने फौजी पिता के बारे में भी कही।
अशोक बिश्नोई ने काव्य में मेहनत कश का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया। दूसरी लघु काव्य रचना में खेजड़ी की महिमागान किया और काटने वालों को राक्षस सम बताया।
भीनमाल से आये विज्ञान के व्याख्याता जगदीश बिश्नोई ने विज्ञान और साहित्य के सामजस्य परोपकारी काव्य रचना प्रस्तुत की। निखिल बिश्नोई ने “किसान को किसन रहने दो” कृषि काव्य रचना सुनाई। दिनैश जाँगू ने प्रकृति का सुंदर चित्रण किया। अजय बिश्नोई ने प्रकृति रक्षण प्रेरणादायक कविता पैश की। किरण संवतसर ने शानदार राजस्थानी कविता सुनाई। दूसरी किरण ने श्री गुरुदेव से आकर करोना महामारी हरने की प्रार्थना रूप कविता सुनाई।
पिंकी सिंवर ने राजस्थानी कविता वर्षा ऋतु वर्णन किया। हरियाणा से सानिया सीगड़ ने अपनी काव्य रचना में विकास और प्रकृति में सामजस्य बैठाकर काम करने की प्रेरणा दी। जाम्भा से पूनम बिश्नोई ने लोकजीवन पर आधारित रचना सुनाई। हरियाणा भिवानी के गाँव लीलस के अमरदीप सीगड़ ने सड़कों व भवनों के लिए वृक्ष कटान को गलत बताने वाली रचना प्रस्तुत की।

हरियाणा के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार की शोधार्थी छात्रा किरणबाला बिश्नोई ने वृक्ष लगा ले कविता सुनाई। इस अवसर पर हास्य कवि और विशिष्ट अतिथि कृष्ण काकड़ तकनीकी खराबी के कारण अपनी प्रस्तुति नहीं दे पाये। स्वय संयोजक डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई ने जाम्भाणी साहित्य अकादमी को समृद्ध बनाने वाली आह्वाहन कविता सुनाई। सहसंयोजक डॉ. हरिरामजी बिश्नोई ने राजस्थानी काव्य रचना सुना मन मोह लिया। अंत में काव्योत्सव के अध्यक्षता कर रहे पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई ने आचार्य कृष्णानंद जी, आयोजकों, सभी युवा कवियों, दर्शको-श्रोताओं और तकनिकी कार्यभार उठाये डॉ. लालचंदजी बिश्नोई का हार्दिक अभिनन्दन, स्वागत और आभार व्यक्त किया। बैनीवाल ने भी सुन्दर गीत प्रस्तुत कर मंत्रमुंग्ध कर दिया।

उनकी रचना इस प्रकार हैः
आज्या गुरु जम्भेश्वर, तेरा इंतजार है
धरती ऊपर भार है,
गऊंवों की पुकार है।
आज्या गुरु जम्भेश्वर,
तेर इंतजार है।।

लोहटजी के आँगन प्रभु,
अवतार धारके आये हो।
रूप तुम्हारा बड़ा है सुंदर,
माँ हंसा के मन भाये हो।।

बालापन में सदगुरुजी,
तुम पशु चरावण ध्याये हो।
गऊ माता अब लाचार है,
सब भक्तों की पुकार है।
आज्या गुरु जम्भेश्वर,
तेरा इंतजार है ।।

पाप फैलग्या धरती पर,
घोर अन्धेरा छाया हो,
भार उतारण धरती का,
कलियुग में तछ आया हो।
पाखण्डियों के पाखण्ड तोड़े,
चमत्कार दिखलाये हो,
चमत्कार दिखलाये हो।
अब पाखण्डी बेशुमार है,
ये दुनिया सब लाचार है,
आज्या गुरु जम्भेश्वर,
तेरा ही इंतजार है ।।

हे गुरु जम्भेश्वर जी,
तुम भक्तन के हितकारी हो।
विपद पड़े में सदगुरु जी,
करते तुम रखवारी हो।
समय पड़े पल पल तुम,
सुनते अर्ज हमारी हो,
सुनते अर्ज हमारी हो।
कलियुग अब विकराल है,
एक तेरा ही आधार है,
आज्या मेरे गुरु जम्भेश्वर,
तेरा ही इंतजार है।।

निर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा,
निर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा,
अखिल विश्व के प्यारे हो।
जो कोई तेरा ध्यान लगावै,
भक्तों को पार उतारे हो,
भक्तों को पार उतारे हो।
जे कोई ध्यावै विष्णुजी नै
उसके कारज सारे हो,
उसके कारज सारे हो।
तू विष्णु का अवतार है
करै “पृथ्वीसिंह” पुकार है,
तुम बिन हम लाचार है।
आज्या गुरु जम्भेश्वर,
तेरा ही इंतजार है।।