बीकानेर। कोरोना की मार ने सबकों प्रभावित किया है,लेकिन अबकी बार ज्यादा मार पियक्कड़ों को झेलनी पड़ रही है,जो पिछले चार दिनों से शराब के लिये इधर उधर भटकने को मजबूर है। जानकारी में रहे देश में चाहे कैसी ही आपदा आये या सख्ताई को आलम हो पियक्कड़ कहीं ना कहीं से शराब का बंदोबश्त कर ही लेते थे। सुखा दिवस के मौकों पर पियक्कड़ों को शराब के लिये ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी,मगर कोरोना की आपदा में लॉकडाउन से ठेके बंद हो जाने के बाद पियक्कड़ों को शराब मिलना मुश्किल हो गई है,हालांकि कई शौकिनों ने आपदा से पहले ही स्टॉक कर लिया था,लेकिन रोज बंदोबश्त करके पीने वालों को इधर-उधर भटकना पड़ा रहा है।
शराब के लिये पियक्कड़ पुराने ठिकानों पर भी पहुंच रहे है लेकिन सख्ती ज्यादा होने के कारण उन्हे खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है। बताया जाता है कि लॉकडाउन के पहले दिन बंद ठेकों में पुराने पैटर्न पर शराब बिक रही थी,लेकिन सोमवार से पुलिस की ज्यादा सख्ताई होने के बाद ठेके पूरी तरह सीज कर दिये गये है। आबकारी विभाग के अधिकारियों की मानें तो यह पहला मौका जब लगातार 4 दिन तक इस तरह से शराब का व्यापार प्रभावित हुआ है। उन्होने कहा कि लॉकडाउन के कारण अंग्रेजी और देशी शराब की तमाम दुकानें बंद करवा दी गई है और ठेका संचालकों को लॉकडाउन की पालना के लिये सख्त हिदायत दी गई है। बार भी बंद करवा दिये गये है,जहां कहीं भी शराब बिकने की सूचना मिलेगी वहां सख्त कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
जानकारी में रहे कि नये वित्तिय वर्ष के लिये बीकानेर में अंग्रेजी शराब के तमाम ठेकों और देशी शराब समूहों के लिये आबकारी बंदोबस्त हो गया और इसके तहत विभाग ने करीब 30 करोड़ का राजस्व अर्जित किया था। इस प्रक्रिया में कई ऐसे ठेकेदार थे, जिनके पिछले साल शराब के ठेके थे, लेकिन इस साल नहीं खुले। इन ठेकेदारों के पास माल का स्टॉक भी था, लेकिन दुकानें 31 मार्च को पूरी होने वाली है। अब इन ठेकेदारों को नियमानुसार अपनी उपलब्ध शराब एक्साइज नियम के अनुसार ट्रांसफर करवानी होगी। दूसरी तरफ नए ठेके 1 अपे्रल से संचालित होने थे, लेकिन कोरोना के संक्रमण के दौरान भीड़ के हालात खतरनाक माने गए हैं। ऐसे में नए ठेके भी लॉक डाउन की श्रेणी में ही आएंगे और इससे नए ठेकों का बंदोस्त प्रभावित होगा।