

हमारे यहां स्थानीय प्रशासन और स्वायत्त संस्थाए नगर निगम, नगर पालिका, पंचायत इन सब को पानी बचाने, पानी संग्रह करने का विचार ऐन वक्त पर बरसात आने पर होता है। जबकि यह मुहीम हर समय चलना चाहिए। मजे की बात सरकारी बोरिंग अपने चहेते के यहां लगाते हैं और उसकी जिम्मेदारी भी उन्हे ही मिलती है भले ही इस बात की कोई गारंटी नहीं कि उस बोरिंग का पानी सभी लोगों को मिलेगा। कहीं-कहीं तो लोगों ने बोरिंग को अपनी प्राइवेट प्रॉपर्टी समझ कर अपने तक सीमित कर लिया जनता को वहां से पानी नहीं मिलता। बड़े शहरों में एन वक्त पर कहते हैं कि आप छत का बरसाती पानी बोरिंग में या रिचार्जर बनाकर उसमे डालो, तो बाकी साल भर पूरा समय क्या सब सोते रहे, मजे की बात यह है कि मकान का नक्शा पास करते वक्त है यह कोई कंडीशन नहीं होती और ना ही नक्शे में रिचार्जर के सिविल वर्क की कोई ड्राइंग होती है यह तो ठीक है अंडरग्राउंड पानी का टंकी, सेप्टिक टैंक, सोकपिट इसकी भी कोई ड्राइंग नहीं होती है। अभी इंदौर में नगर निगम ने घोषणा करी कि 15 जून तक आप छत का पानी रिचार्जिंग का लगवा ले वरना आप पर बहुत खड़ी पेनल्टी लगेगी यह तो तुगलकी फरमान आए दिन होते रहते हैं अब इनके खिलाफ बार बार तो कोर्ट में जाने से रहे।
अशोक मेहता, इंदौर (लेख, पत्रकार, पर्यावरणविद्)