बीकानेर। पीपीएच से होने वाली मातृ मृत्यु को रोकने विशेष अभियान शुरू किया गया है -‘‘पीपीएच को हराना है ! हर माँ को बचाना है !’’ एस.पी. मेडिकल कॉलेज की वरिष्ठ प्रोफेसर गायनेकोलोजिस्ट डॉ सुदेश अग्रवाल द्वारा स्वास्थ्य विभाग के साथ शुरू किए इस अभियान में ग्रामीण स्तर तक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पीपीएच प्रबंधन के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा और आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाई जाएगी। इस सन्दर्भ में बुधवार को पीबीएम अस्पताल के नए एमसीएच भवन में एक स्किल लैब की स्थापना कर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमे प्राचार्य डॉ एच.एस. कुमार, सीएमएचओ डॉ बी.एल. मीणा व आरसीएचओ डॉ रमेश गुप्ता के आलावा वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, चिकित्सक व मेडिकल विद्यार्थी शामिल हुए। डॉ एच.एस. कुमार ने अभियान को अपनी शुभकामनाएं दी और मातृ मृत्यु दर को नीचे लाने के लिए अति आवश्यक माना। डॉ अग्रवाल ने बताया कि प्रसव के दौरान होने वाली मातृ मृत्यु में से लगभग एक तिहाई के पीछे पीपीएच (पोस्ट पार्टम हेमोरेज) यानिकी अत्यधिक रक्त स्त्राव होता है जिसे द्रुत प्रबंधन द्वारा काफी मामलों में बचाया जा सकता है। जरुरत है कि प्रत्येक ग्रामीण स्तर का स्टाफ इसके लिए प्रशिक्षित हो और उसे विशेष पीपीएच किट भी उपलब्ध करवाकर इस विषय पर फोकस किया जाए। रक्त स्त्राव की मात्रा का अंदाजा लगाकर पीपीएच की स्थिति में कुछ ही सेकंड में स्थिति को भांप कर निर्णय लेना और आवश्यक उपचार करने से प्रसूता की जिंदगी बचाई जा सकती है।

डॉ मीणा ने बताया कि पीपीएच किसी को हो सकता है लेकिन जो अनीमिया से पीड़ित हैं उनके लिए ये जानलेवा हो सकता है। जल्द ही जिला, खण्ड और सेक्टर स्तर तक पीपीएच प्रबंधन के लिए विशेष प्रशिक्षण आयोजित किए जाएंगे और साथ ही अनेमिया मुक्ति के प्रयासों को भी बढाया जाएगा ताकि कम से कम बीकानेर में किसी भी प्रसूता की मृत्यु पीपीएच के कारण ना हो।