

बीकानेर ओम एक्सप्रेस-एडवोकेट मोहब्बत अली तंवर ने लिखा मुख्यमंत्री मंत्री को पत्र -बीकानेर ने राजस्थान सरकार को ज्ञापन लिखकर पुलिस प्रशासन की ज़्यादती से अवगत कराया है साथ जुल्मों पर विराम लगाने की गुहार भी लगाई हैं।उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोकडाउन तथा कर्फ़्यू के दौरान ज़िला प्रशासन, पुलिस प्रशासन की ज़्यादती, अत्याचार , भेदभाव पूर्ण व्यवहार तथा ग़लत कार्यशैली से कांग्रेस का जनाधार समाप्त हो रहा हैं।
ज्ञापन में उन्होंने कहा हैं कि “कोई मात्र थाली और ताली बजवा कर तथा मोमबत्ती जलवाकर वाह वाही लूट ले जाते हैं, और कांग्रेस सरकार काम कर भी हर रोज़ जनाधार समाप्त कर रही है।”


निवेदन –
१) यह कि मैं एक वरिष्ठ कांग्रेस कार्यकर्ता हूँ, कांग्रेस को सींचने में मेरा भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सन 1977 में जब देश से इन्दिरा गान्धी द्वारा एमरजैंसी हटाई गई थी, उस वक़्त तत्कालीन जनता पार्टी दवारा दीवारों पर जगह जगह चेचक रोग के सलोगन की तरह नारे लिखवायें गये थे कि एक कांग्रेसी बताओ और एक हज़ार रूपये पाओ। उस वक़्त लोकसभा चुनाव में मैं अपने साथियों के साथ सेंकडों गाँवों में गया था जहाँ वाकई में कांग्रेस का सफ़ाया हो चुका था। ठीक यही हालात राजस्थान में अब होने जा रहे हैं। कांग्रेस के वोट बेंक दलित और मुस्लिम समाज के साथ आपके ही अधिकारी गण भाजपा समान ही व्यवहार कर रहे हैं।
२) यहकि बीकानेर शहर में भी अन्य शहरों की तरह कोरोना मरीज़ मिले लेकिन बीकानेर ज़िला प्रशासन ने विशेष रूप से मुस्लिम तथा दलित क्षेत्रों में कर्फ़्यू लगाया। बीकानेर पश्चिम क्षेत्र, जो मन्त्री जी का चुनावी एरिया है उसमें ब्राह्मण तथा बनिया समाज यानि उच्च जाति समाज के क्षेत्र में कर्फ़्यू नहीं लगाया गया, जबकि इन लोगों ने बहुतायत में कांग्रेस के विरोध में वोट डाले लेकिन जनता में चर्चा है कि भेदभाव से कांग्रेस के वोट बेंक क्षेत्र में ही कर्फ़्यू लगाया गया, जो आज बीस दिन बाद भी क़ायम चल रहा है। यह प्रशासन की हठ धर्मिता है। ज़िला प्रशासन को सम्पूर्ण बीकानेर शहर में समान रूप से सब जगह कर्फ़्यू लगाना चाहिये था।
३) यह कि एमरजैंसी के वक़्त पुलिस तथा अधिकारियों पर ज़बरन नसबंदी का आरोप था, लेकिन मौजूदा वक़्त में अनुमान के अनुसार बीकानेर शहर में लगभग पचास हज़ार युवा, बच्चे तथा बुज़ुर्गों के पुलिस के डणडे बेरहमी से पड़ चुके हैं। ऐसे सेंकडों बुज़ुर्ग होंगे जिनको पुलिस के जवानों ने मुर्ग़े बनाये हैं, उठक बैठक कराई है। पुलिस को अपने आप सजा देने का अधिकार संविधान में किसने दे दिया?
४) यह कि बीकानेर शहर में पशुपालन का धंधा करने वाले गुजर, जो गायों और बछड़ों को अपनी औलाद की तरह रखते हैं। प्रशासन ने इनके दूध को जनता में बेचने पर मौखिक रूप से रोक लगा दी है। यदि ये गुजर दूध बेचने घर से निकल जाता है तो इनके दूध को नाली में फैंक दिया जाता है। इनको मजबूरी में एक नीजि दूध डेयरी लोटस को तीन महीने की उधार में बिना कोई रेट तय किये देना पड़ रहा है और दूसरी ओर इस नीजि लोटस डेयरी का दूध प्रशासन द्वारा बत्तीस रूपये प्रति लीटर जनता में बिकवाया जा रहा है। गुजर समाज के नब्बे फ़ीसदी गुजर पुलिस के हाथ पिट चुके हैं। लोटस डेयरी के पास कोई नीजि गायें नहीं है।
५) यह कि दिनांक 25 मार्च से शहर में लोकडाउन लगा हुआ है तथा दिनांक 3 अप्रैल से शहर के लगभग सभी मुस्लिम तथा दलित क्षेत्र में कर्फ़्यू तथा महाकर्फ़्यू लगा हुआ है। ग़रीब लोगों के पास पैसा नहीं है, आर्थिक हालात दयनीय है। सरकार की मध्यम वर्ग को कोई मदद नहीं की जा रही है। जनता किसको शिकायत करे?
६) यहकि क्षेत्र में कांग्रेस संगठन को लगभग ज़ीरो कर प्रभाव हीन कर दिया गया है। कांग्रेस के नेता तथा जीते हुए कांग्रेस प्रत्याशी तथा हारे हुए नेताओं की क्षेत्र में कोई भागीदारी नहीं है। जनता के दु:ख दर्द को सुनने वाला कोई कांग्रेसी नहीं है। जनता में कांग्रेस के प्रति भारी नाराज़गी और ग़ुस्सा है जो कांग्रेस के लिये बेहद घातक है।


