बीकानेर । प्रदेश की कवयित्रियों ने कोरोना वायरस के विरूद्ध शब्दों का युद्ध लड़ा और आशा व्यक्त की कि कोरोना चाहे कितना भी खतरनाक क्यों न हो, वह हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति व सावधानी के आगे अवश्य परास्त होगा।
अवसर था कोरोना जन जागरूकता अभियान के तहत राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की ओर से शनिवार को ऑनलाइन आयोजित राजस्थानी कवयित्री गोष्ठी का। अकादमी सचिव शरद केवलिया ने बताया कि बीकानेर की कवयित्री मोनिका गौड़ के संयोजन-संचालन में आयोजित इस काव्य गोष्ठी में प्रदेश के विभिन्न जिलों की नौ कवयित्रियों ने भाग लेकर कोरोना महामारी से बचाव के संबंध में अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। इनमें सीकर से डॉ. शारदा कृष्ण, उदयपुर से डॉ. करुणा दशोरा व डॉ. शकुंतला सरूपरिया, कोटा से डॉ. कृष्णा कुमारी कमसिन, जोधपुर से किरण राजपुरोहित, बीकानेर से मनीषा आर्य सोनी व मोनिका गौड़, झालावाड़ से प्रीतिमा पुलक व केकड़ी अजमेर से विमला डागला ने काव्य पाठ किया।
कवयित्री मोनिका गौड़ ने कोरोना पर रचित दोहे सुनाए- निरोग जींवण वास्तै मानो एक उसूल, लिछमन रेख घर बार री लँघो ना ही फिजूल। कोरोना री आड़ सूं कुदरत दियो संदेश, मास्क सफाई आंतरो अपनाओ हरमेस। बगत आयो साथीड़ा चेतै लेवो चितार, नेह निभाणौ जीव सूं करणो शाकाहार। बम-गोला नै तोपड्या ना कोई हथियार, डाक्टर, ओखद अस्पताल, करै रोग में कार। डॉ. कृष्णा कुमारी कमसिन ने अच्छे वक्त की आशा व्यक्त करते हुए कहा-यो बगत भी कट ही जावैगो, ठूंठ पै फूट्यौ नुयो पत्तो देखो। चिड़ी तिणका बीनण लाग री छै, आबा वाळो छै एक बच्चो देखो।
अकादमी सचिव शरद केवलिया ने आभार व्यक्त करते हुए बताया कि अकादमी द्वारा कोरोना जागरुकता अभियान के तहत राजस्थानी स्वास्थ्य वार्ता, राजस्थानी संगोष्ठी आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।