– रालसा और राजस्थान पुलिस अकैडमी का एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविरजयपुर ,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रशासनिक न्यायाधीश संगीत लोढ़ा के निर्देश पर राजस्थान पुलिस अकादमी सभागार में एक दिवसीय राज्य स्तरीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में राज्य भर के 80 अधिकारी गणों ने भाग लिया।प्रशिक्षण सत्र में महिलाओं और बच्चों के प्रति होने वाले सेक्सुअल अपराध में पुलिस की पीड़ितों के प्रति संवेदनशील भूमिका ,देखभाल और सुरक्षा विधिक सहायता ,पीड़ित प्रतिकर और सपोर्ट टू सरवाइव स्कीम की जानकारी दी गई। रालसा के सदस्य सचिव बृजेंद्र कुमार जैन ने उद्घाटन सत्र में बताया कि अपराध में न्याय प्रशासन और पुलिस महत्वपूर्ण कड़ी है न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि अपराध की पहली सूचना पुलिस के पास ही आती है ,अनुसंधान के दौरान साक्ष्य एकत्रित करने में दोषी को सजा दिलाने में पुलिस के जांच अधिकारी की विशेष भूमिका होती है । एडीजीपी सिविल राइट सू श्री नैना सिंह ने बताया कि नया बॉक्स को अधिनियम लागू हो चुका है जिसमें जांच अधिकारी को मात्र 60 दिवस में जांच पूरी कर कर करनी है पुलिस कई बार जांच बीच में रोक दी जाती है जबकि गिरफ्तारी पर रोक होती है न की जांच में ।जांच अधिकारी जाच को बीच में ही रोक देते हैं, जिससे अपराधी के बच निकलने की गुंजाइश बढ़ जाती है । निदेशक आरपीए राजीव शर्मा ने बताया कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में महत्वपूर्ण रिसोर्स पर्सन को सुनने का अवसर मिला है जो इस अधिनियम के विशेष ज्ञाता है उनके अनुभवों का लाभ जांच अधिकारी उठा कर न्याय प्रक्रिया का पीड़ितों को न्याय सुलभ से दिलाने का प्रयास करें। यूनिसेफ के बाल अधिकार विशेषज्ञ संजय निराला ने कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर जांच के दौरान एकत्रित किए जाने वाले सबूतों को मैं जांच अधिकारी की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध होने वाले लैंगिक अपराधों में किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए। जेंडर सेंसेटिव केस मैनेजमेंट लैंगिक अपराधों में पीड़ित महिला और बच्चो की जांच के समय किस प्रकार सबूत एकत्रित करने हैं पुलिस अधिकारियों की भूमिका के बारे में बताया गया । कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में असम के मृदुल दास क्द्वारा लैंगिक अपराधों के प्रकरणों में किस प्रकार बर्ताव करना चाहिए उस बारे में बताया। राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता शालिनी श्योरान ने संवेदनशील प्रकरणों में किस प्रकार जांच की जानी चाहिए विशेष रुप से परिभाषित किया ।आरपीए के पुलिस अधिकारी धीरज वर्मा ने लैंगिक अपराध में पीड़िता की किस प्रकार जांच की जानी चाहिए और किस प्रकार सबूत एकत्रित किए जाने चाहिए इस बारे में विस्तार से बताया । स्पेशल जज पेक्सो कोर्ट के विशेष जज राजेश कुमार प्रथम ने लंगीग अपराध में पीड़ित महिला और बालों को की जांच में पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर और रालसा के संयुक्त सचिव नीरज भारद्वाज ने लैंगिक अपराधों में पीड़ितों को दी जाने वाली विधिक सहायता पीड़ित प्रतिकर और अभी हाल ही ralsa द्वारा जारी नई योजना सपोर्ट टू सरवाइव के बारे में विशेष जानकारी दी कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों को साइबर क्राइम की तकनीकी लैब की तकनीकों से अवगत कराया।