बिहार(सुपौल)-(कोशी ब्यूरों)-देशभर में महामारी के रूप में फैले कोरोना के संक्रमण को लेकर बिहार में बीते दिनों से चल रहे लॉकडाउन ने जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडल क्षेत्र के छोटे-छोटे दुकानदारों की कमर तोड़ दी है। बड़ी दुकानों को खुली प्रशासनिक छूट व छोटी दुकानों के नहीं खुल पाने के कारण दुकानदारों की पूरी अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई है और पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। बल्कि दुकान बंद होने से चाय-पान व सैलून के दुकानदार फाकाकशी के दौर से गुजर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण वर्तमान में स्थिति यह कि जो दुकानदार रोजाना पांच सौ रुपये कमाता था, वह भी परेशान है और जो पांच हजार रुपये रोजाना कमाता था, वह भी परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण हर कोई चिंतित है।गौरतलब है कि के कोरोना को लेकर किए गए लॉकडाउन से चाय, पान, छोटे होटल, फुटपाथ व्यवसायी, मजदूर, लुहार, बढ़ई, नाई तथा कुम्हार आदि व्यवसायियों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। आर्थिक संकट के कारण इन लोगों के परिवार के सामने पेट भरने का संकट खड़ा हो गया है, क्योकि प्रशासन द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के कारण इस सभी व्यवसाय से जुड़े लोग घरों पर बैठे हैं। इन छोटे दुकानदारों को राहत देने के लिए शासन या प्रशासन द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। छोटे दुकानदारों का कहना है कि जिस प्रकार प्रशासन ने आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को खोलने की खुली छूट दी है। इसी प्रकार अगर छोटी-छोटी दुकानों को भी खोलने का समम निश्चित कर दिया जाता, तो इतनी परेशानी नहीं होती। उन्होंने बताया कि दुकानें बंद होने के कारण पूरा परिवार घर पर बैठा है।जिले के त्रिवेणीगंज बाजार क्षेत्र के सैलून चलाने वाले हरेराम ठाकुर,गरीबचन्द ठाकुर,शुशील कुमार,राजहंस ठाकुर,आदि ने बताया कि परिवार के पालन पोषण के लिए कटिंग की दुकान ही एकमात्र सहारा है। लॉकडाउन के कारण कारण पूरा परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है।

इस स्थिति में परिवार का पेट भरने के लिए कई जतन करने पड़ रहे हैं। त्रिवेणीगंज बाजार बाजार के प्रसिद्ध टी स्टॉल चला रहे है चंदन कुमार ने ओम एक्सप्रेस से बात करते हुए उनकी आंखों में बेबसी नजर आई। उन्होंने बताया कि अभी किसी भी तरह की आय नहीं है, पर हम दुकान में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन और भोजन दे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हम खाए बिना मर जाएंगे, पर इस बंदी से हमारे जैसे छोटे व्यापारी साल भर पीछे चले गए हैं।दुर्गा मंदिर चौक पर पान की दुकान चालने वाले सोनू ने बताया कि मैं किराए के घर में रहता हूं, मेरी दुकान भी किराए पर है। ऐसे में पिछले लॉक डाउन के दिनों से पैसे आने बंद हैं। अब सामने किराया देने की बात है। किराए के लिए जबरजस्ती नहीं हो रही है, पर देना तो होगा ही। सो चिंता है कि बंदी खत्म होने के बाद कैसे फिर सब कुछ सही होगा।