जैसलमेर के डीजे अब एसपी की मदद से बसपा के विधायकों को हाईकोर्ट के नोटिस तामील करवाएंगे

– राजस्थान के न्यायिक और राजनीति के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है

– इस बात की क्या गारंटी है कि बसपा वाले विधायक अब जैसलमेर के सूर्यागढ़ होटल में ही मिलेंगे..?

6 अगस्त को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंति और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने भाजपा विधायक मदन दिलावर और बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा की याचिकाओ का निस्तारण कर दिया। जस्टिस महंति और जस्टिस गुप्ता की खंडपीठ ने निर्देश दिए कि जैसलमेर की सूर्यागढ़ होटल में बसपा के जो 6 विधायक रह रहे हैं, उन्हें हाईकोर्ट का नोटिस जैसलमेर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के माध्यम से तामील करवाया जाए। इसके लिए जरुरत पडऩे पर जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक की भी मदद ली जाए। इसके साथ ही खंडपीठ ने हाईकोर्ट की एकल पीठ से आग्रह किया कि इस प्रकरण में स्टे प्रार्थना पत्र 11 अगस्त को निर्णय दे दिया जाए। राजस्थान के न्यायिक और राजनीति क्षेत्र के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब इस तरह से 6 विधायकों को कोर्ट के नोटिस तामील करवाए जा रहे हैं तथा एकल पीठ की सुनवाई के दौरान ही खंडपीठ अपनी राय अथवा सुझाव प्रकट कर रही है।

मालूम हो कि भाजपा विधायक मदन दिलावर और बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष याचिकाएं प्रस्तुत कर मांग की थी कि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बसपा के विधायकों को कांग्रेस में शामिल होने का जो आदेश दिया है, उस पर रोक लगाई जाए। साथ ही विधानसभा में होने वाले सरकार के शक्ति परीक्षण के समय बसपा विधयाकों की वोटिंग पर रोक लगाई जाए। एकल पीठ के न्यायाधीश महेन्द्र गोयल ने विगत दिनों दोनों याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष और बसपा के सभी 6 विधायकों को नोटिस जारी किया। एकल पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 11 अगस्त निर्धारित की। एकल पीठ के इस निर्णय से असंतुष्ट होकर मदन दिलावर और बसपा के सतीश मिश्रा ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में याचिकाएं दायर की। दोनों याचिकाओं में कहा गया कि विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से बुलाया गया है। इसलिए बसपा विधायको के प्रकरण में निर्णय जल्द होना चाहिए। चूंकि बसपा विधायक अपने घरों पर नहीं मिल रहे हैं, इसलिए हाईकोर्ट के नोटिस भी तामील नहीं हो रहे। यदि 11 अगस्त से पहले नोटिस तामील नहीं हुए तो फिर 11 अगस्त को सुनवाई टल जाएगी। जस्टिस महंति और जस्टिस गुप्ता की खंडपीठ से आग्रह किया गया कि विधानसभा अध्यक्ष के आदेश और विधायकों के वोट देने पर रोक लगाई जाए। खंडपीठ ने ऐसी रोक तो नहीं लगाई, लेकिन विधायकों को नोटिस तामील कराने और 11 अगस्त को ही स्टे प्रार्थनापत्र पर हाईकोर्ट के आदेश होने का रास्ता निकाल दिया। अब 8 अगस्त तक बसपा के विधायकों को हाईकोर्ट की एकल पीठ के नोटिस तामील हो जाएंगे और 11 अगस्त को स्टे प्रार्थना पत्र पर एकलपीठ अपना आदेश सुना देगी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिए है कि अखबारों के जैसलमेर और बाड़मेर के संस्करणों में हाईकोर्ट के नोटिस प्रकाशित करवाए जाए ताकि बसपा विधायकों को सूचना मिल सके। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को लेकर कितनी गंभीरता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 6 अगस्त को खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद ने पैरवी की। जबकि भाजपा विधायक मदन दिलावर की ओर से लंदन में बैठे वकील हरीश साल्वे ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पक्ष रखा। इसी प्रकार बसपा की ओर से राष्ट्रीय महासचिव और सुप्रीम कोर्ट के वकील सतीश मिश्रा ने कानूनी राय रखी। हालांकि सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने यह जानना चाहा कि जब एकल पीठ ने इसी मुद्दे पर सुनवाई हो रही है तो फिर खंडपीठ सुनवाई कैसे कर सकती है? इस पर हरीश साल्वे ने ऐसे कई उदाहरण प्रस्तुत किए जिसमें हाईकोर्ट की खंडपीठ सुनवाई कर सकती है। साल्वे के तर्कों के बाद ही जस्टिस महंति और जस्टिस गुप्ता ने अपना निर्णय सुनाया।

– विधायकों के जैसलमेर में मिलने की क्या गारंटी है?
यह सही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में बसपा के 6 विधायक भी जैसलमेर की सूर्यागढ़ होटल में रह रहे हैं। 31 जुलाई को जब कांग्रेस के विधायकों को जयपुर की फेयरमोंट होटल से जैसलमेर शिफ्ट किया गया, तब बसपा वाले विधायक राजेन्द्र सिंह गुढा, लखन सिंह, दीपचंद खेदिया, जोगेन्द्र सिंह अबाना, संदीप कुमार तथा वाजिब अली भी शामिल थे। न्यूज चैनलों पर इन सभी छह विधायकों के वीडियो भी जारी हुए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि यह विधायक जैसलमेर की सूर्यागढ़ होटल में ही हैं। लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले के बाद यह विधायक जैसलमेर में ही रहेंगे? इन विधायकों ने जैसलमेर में ही रहने की कोई शपथ नहीं ली है। यह विधायक जिस प्रकार जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट हुए उसी प्रकार जैसलमेर से अन्यंत्र शिफ्ट हो सकते हैं। ऐसे में इन विधायकों को जैसलमेर में नोटिस तामील करवाना मुश्किल होगा। आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति में और अधिक मनोरंजन देखने को मिलेगा। मालूम हो कि 9 जुलाई को सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायकों के दिल्ली चले जाने पर राजस्थान की राजनीति में भूचाल आ गया। 10 जुलाई से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में 100 विधायक होटलों में बंधक बने हुए हैं। ईद और राखी के त्यौहार भी विधायकगण होटलों में ही माना रहे हैं। जब हाईकोर्ट को नोटिस तामील करवाने में इतना जोर लगाना पड़ रहा है, तब इन विधायकों से जुड़े मतदाताओं की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
(साभार : एस.पी.मित्तल)

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