बीकानेर। नारायण सेवा संस्थान उदयपुर एवं बाबा रामदेव सेवा संस्थान की ओर से गंगाशहर के तेरापंथ भवन में चल रहे बाबा रामदेवजी के अमृृत कथा महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को शाढ़े चार बजे से साढ़े सात बजे तक बाबा रामदेवजी का विवाहोत्सव भक्ति व लोक संस्कृृति अनुसार मांगलिक गीतों के साथ मनाया जाएगा।
कथा के दूसरे दिन रविवार को सुप्रसिद्ध कथावाचक जय प्रकाशजी महाराज ने कहा कि साधन व साधना का मर्म जानकर देव की स्तुति, वंदना व भक्ति करें। हमारे पास उपलब्ध साधनों, संसाधनों का उपयोग परोपकारी कार्यों में करें। परोपकार, निस्वार्थ भाव से की गई सेवा ही फलीभूत होती है। उन्होंने संत बालक नाथ को रामदेवजी का गुरु बनाने के प्रसंग के माध्यम से कहा कि माता-पिता व गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए। माता-पिता व गुरु का सम्मान करने वाले की यश, बुद्धि, ज्ञान व धन व सम्पति की वृृद्धि होती है। वहीं इनका तिरस्कार करने वाले, नीचा दिखाने वाले और सही बात को नहीं मानने वाले की कभी उन्नति नहीं हो सकती ।
उन्होंने कहा कि बाबा रामदेवजी ने कलयुग में समानता, समता व एकता का संदेश दिया। उन्होंने हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए पीरों को चमत्कार दिखाकर रामसा पीर कहलाएं। आज भी दोनों मजहबों के लोग समानता के साथ बाबा रामदेवजी को सम्मान देते है। श्रीमती सरला देवी व कथा के आयोजक रामदेव अग्रवाल ने आरती व पूजन करवाया। इस अवसर पर कथावाचक जयप्रकाश महाराज के सांसारिक पिता पूनम चंद व माता श्रीमती सुख देवी शाकद्वीपीय ब्राह्मण और नारायण सेवा संस्थान में परोपकारी कार्यों के लिए सहयोग करने वालों का सम्मान पगड़ी व दुप्पटा से की गई।