

जयपुर।इसमें कोई दो राय नहीं कि वर्तमान में प्रचलित सभी पेंशन योजनाओं में OPS सबसे ठीक है। राज्य सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए NPS से OPS करने की जो योजना लागू की है बिजली कर्मचारियों के लिए उसमे बहुत भेदभाव किया गया है। इसे दो तरह से समझते है।
1- 2004 से पूर्व के वो कर्मचारी जिन्होंने CPF का ऑप्शन लिया था और सेवानिवृत हो गए है।* ऐसे कर्मचारी यदि अब GPF की पेंशन (OPS) लेना चाहते है तो उन्हें 5000 रूपये पहले जमा करवा कर विकल्प देना होगा। जबकि कर्मचारी को यह पता बाद में चलेगा कि उसे कितना पैसा जमा करवाना है अर्थात अंधी व्यवस्था है। बिजली कर्मचारियों के लिए नियम यह बनाया गया है कि उनके द्वारा सेवानिवृत होते समय प्राप्त की गईं PF राशि 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज के साथ जमा करवानी होगी। जबकि उस कर्मचारी ने अपने पूरे सेवाकाल में PF पर अधिकतम 8.5 प्रतिशत से अधिक ब्याज नहीं लिया है। कर्मचारी से ब्याज सहित पूरा पैसा जमा करवाने के बाद उसे पेंशन अप्रैल 2023 से दी जावेगी अर्थात पेंशन का कोई एरियर नहीं दिया जावेगा। इस व्यवस्था को देख कर लगता है जैसे सरकार ने बिजली कर्मचारियों के लिए घोषणा तो कर दी लेकिन उसमे ऐसी शर्ते लगा दी है कि कम से कम कर्मचारी ही विकल्प दें, जो कि इन कर्मचारियों के साथ आन्याय और भेदभाव है।
2004 के बाद नियुक्त सेवारत बिजली कर्मचारी* सेवारत बिजली कर्मचारियों के लिए OPS के लिए प्रावधान किये गए है कि कर्मचारी अपनी EPF की सम्पूर्ण राशि 12% ब्याज के साथ जमा करवावे, इसके साथ ही कर्मचारी का CPF का सारा पैसा GPF-SAB खाते में जमा होगा इसमें भी यदि कर्मचारी ने CPF नियोक्ता अंशदान से कोई लोन की राशि ली हुई है तो उसे सम्पूर्ण राशि 12% ब्याज के साथ जमा करवानी होगी। इस अनुसार प्रत्येक कर्मचारी को लाखों रूपये जमा करवाना होगा। जब कर्मचारी अपनी जमा राशि पर वर्तमान में 7.1% ब्याज ही प्राप्त कर रहा है तो उससे 12% ब्याज क्यों वसुला जा रहा है ? कर्मचारी को जब पैसे की जरूरत थी तब ही तो उसने लोन लिया आब पेंशन के लिए वो राशि जमा कराने के लिए क्या बाजार से फिर कर्ज लेकर पैसा जमा करना होगा ? EPF की राशि जब बिजली निगम स्तर पर जमा करवाई गईं है तो उसकी निकासी भी बिजली निगम स्तर पर ही होनी चाहिए जबकि कर्मचारी पर EPF की राशि ब्याज सहित जमा करना अनिवार्य करने पर क्या प्रत्येक कर्मचारी पर लाखों रूपये जमा करवाने का भार नहीं पड़ेगा ? जबकि होना यह चाहिए था कि EPF की राशि कर्मचारी की जमा CPF से समायोजित किया जाता। सरकार बिजली निगमों के CPF ट्रस्ट का सारा पैसा खुद के GPF -SAB खाते में चाहती है परन्तु वह पेंशन की गारंटी नहीं देना चाहती।
उपरोक्त सभी समस्याओं के समाधान हेतु सरकार पर दबाव बना कर बिजली कर्मचारियों के OPS आदेश में संशोधन करवाना चाहिए था क्यों कि समय बहुत कम है, सबको 30 जून तक विकल्प देना है। कुछ यूनियनों ने इस समस्या को समझ कर अपने स्तर पर सरकार को ज्ञापन भी भेजे है परन्तु कुछ यूनियन नेता मुख्यमंत्री के धन्यवाद ज्ञापित करते फिर रहे है और अपना चेहरा चमकाने की राजनीती कर रहे हैं। अब अगर दूसरे संगठन OPS में इन संशोधनों की बात भी करते है तो सरकार कहती है कि भई तुम्हारे लोग तो OPS की बड़ाई कर धन्यवाद दें रहे है और तुम और बात कर रहे हो अर्थात बिजली कर्मचारियों में बिना वजह ही दो गुट हो गए जिसका नुकसान बेचारे आम बिजली कर्मचारी को होगा। पेंशन की लड़ाई बिजली कर्मचारियों ने संयुक्त लड़ी थी तो फिर उसके अच्छे बुरे पहलू जानकर आगे की कार्यवाही भी संयुक्त ही होनी चाहिए थी परन्तु कुछ लोग सिर्फ अपना चेहरा चमकाने के लिए हमेशा की तरह राजनीती करते नजर आये। इन्ही लोगों के कारण पूर्व में ग्रेड पे के आंदोलन जो कि संयुक्त लडा गया लेकिन चुपके से अलग जाकर ऊर्जामंत्री से मिलने के कारण आज टेक्निकल हैल्पर के डंडे लगे हुए है TH-I, TH-II, TH-III, कर्मचारियों को ग्रेड पे भी नियुक्ति तिथि से नहीं मिली। इसी तरह अलग जाकर CM से मिलने से इस पेंशन में हुए खेल से कर्मचारियों को राहत नहीं मिल पायेगी। कभी कभी तो लगता है कि ये लोग बिजली कर्मचारियों के हित के लिए यूनियन चलाते है या फिर सिर्फ अपने चेहरे चमकाने के लिए।
30 जून जल्दी ही आ जाएगी और बेचारे बिजली कर्मचारी हर बार की तरह फिर ठगे जायेंगे और हर बार इन चेहरा चमकाने की राजनीती करने वाले नेताओं के कारनामो की कीमत जिंदगी भर चुकाएंगे।
अब भी समय है यदि सद्बुद्धि आ जाये तो बिजली कर्मचारियों के हित में संशोधन करवाया जा सकता है परन्तु सब संभव सिर्फ एकता से ही हो सकता है। बडी मुश्किल से यूनियनों में एकता बनती है परन्तु अपने छोटे से स्वार्थ के लिए लोग इस एकता को खत्म कर अलग अलग भागते है।
बिजली कर्मचारियों की आज भी बहुत सी जायज मांगे लंबित है जो सिर्फ एकता से ही पूरी हो सकती है। दुआ करो बिजली कर्मचारियों कि CM, मंत्री संत्री के साथ फोटो खिचवाने की राजनीति से बाज आकर ये नेता निस्वार्थ भाव से यूनियनों की संयुक्त एकता के लिए प्रयास करेंगे तो ही बिजली कर्मचारियों का हित होगा अन्यथा सिर्फ नेताओं के चेहरे चमकते रहेंगे और बिजली कर्मचारियों का शोषण होता रहेगा
