-छात्रों का भविष्य अंधकार में, रेगुलेशन लागू ना होने तक डिग्रियां भी मान्य न मानी जाएंगी


जयपुर (हरीश गुप्ता)। राजस्थान विश्वविद्यालय वर्तमान में बिना किसी रेगुलेशन के चल रही है। जिसके कारण छात्रों का भविष्य अंधकार में है, क्योंकि उनकी डिग्रियां वैलिड नहीं मानी जाएंगी। यूजीसी के नए रेगुलेशन का लागू ना होना सिंडीकेट बैठक न होना बताया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि यूजीसी ने 2016 में नया रेगुलेशन जारी किया था। बाद में 2018 में यूजीसी नया रेगुलेशन लाई, जिसे सभी विश्वविद्यालय ने लागू कर दिया। नंबर 2021 में यूजीसी रेगुलेशन लाई जिसे राज्य के कई विश्वविद्यालयों ने लागू कर दिया। यहां तक कि सरकारी कॉलेजों ने भी लागू कर दिया। उसी रेगुलेशन के तहत ही कुछ दिनों पहले करीब 14 सौ प्रोफेसर पद पर पदोन्नत हो गए।
सूत्रों ने बताया कि राजस्थान विश्वविद्यालय ने नया रेगुलेशन आते ही पुराना रेगुलेशन खत्म कर दिया, लेकिन नया रेगुलेशन लागू ना हो सका। उसका कारण है सिंडिकेट का ना होना। सिंडिकेट में पास हुए बगैर नया रेगुलेशन लागू नहीं हो सकता। आखिर सिंडिकेट क्यों नहीं बुलाई जा रही? यह बड़ा सवाल है। सिंडिकेट होने से कौन संकट में आएगा यह सोचनीय बिंदु है।
सूत्रों की मानें तो विश्वविद्यालय परिसर में चर्चाएं जोरों पर है, ‘कुलपति राजीव जैन सिंडिकेट जानबूझकर नहीं बुलाना चाह रहे।’ ‘…जैन की नियुक्ति ही अवैध है।’ ‘वीसी बनने के लिए 10 साल प्रोफेसर के रूप में कार्य किया होना जरूरी है।’ ‘…राजीव जैन तो 2012 से 2017 तक ही प्रोफेसर रहे। फिर रिटायर हो गए।‘ इससे पहले बांसवाड़ा में असिस्टेंट प्रोफेसर थे।
सूत्रों के मुताबिक चर्चा यह भी है कि ‘अब उनका कार्यकाल सितंबर तक का ही है ऐसे में सिंडिकेट बुलाई गई तो वीसी सर्च कमेटी गठित हो जाएगी और वीसी पावरलैस हो जाएंगे।‘ कोई भी नीतिगत निर्णय कमेटी ही लेगी। शायद यही कारण है कि सिंडिकेट नहीं बुलाया बुलाई जा रही। छात्रों के भविष्य का क्या होगा, यह ‘सरकार‘ को देखना होगा।
