बीकानेर, 10 मार्च। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, के क्षेत्रीय केन्द्र सार्दुलगंज में बुधवार को तीन दिवसीय त्रिमूर्ति महा-शिवरात्रि महोत्सव ध्वजारोहण व आध्यात्मिक प्रवचन के साथ शुरू हुआ। महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को सुबह आठ बजे विश्वविद्यालय परिसर में मुख्य समारोह होगा। वहीं महोत्सव के तहत शुक्रवार को विश्व विद्यालय के सेवा केन्द्र में सुबह आठ बजे महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। महोत्सव के दौरान करोना से बचाव के लिए ऐतिहात बरते गए हैं। दो गज दूरी व मास्क को जरूरी किया गया है।
महोत्सव के प्रथम दिन महाशिवरात्रि के आध्यात्मिक महत्व को उजागर करते हुए विश्व विद्यालय की संभाग प्रभारी बी.के.कमल ने कहा कि सभी धर्मग्रंथों में स्पष्ट है कि जब-जब धर्म की अति ग्लानि होती है, तब-तब परमपिता शिव परमात्मा इस सृष्टि पर अवरित होकर नई सतयुगी सृष्टि रचते है। परिवर्तन सृष्टि चक्र का शाश्वत नियम है। सृष्टिचक्र में सतयुग के बाद त्रेतायुग, द्वापरयुग और फिर कलियुग तय है। वर्तमान में प्रकृति के पांचों तत्वों में बिगड़ता असंतुलन मानव के कर्मों का निम्न स्तर और हर चीज की अति परिवर्तन के प्रबल संकेत दे रहा हैं परिवर्तन की इस बेला में आध्यात्मिक चिंतन,मनन, सतकर्म सदभाव, सद्व्यवहार और अपने आत्म स्वरूप को जानकर नए युग का निर्माण करना हैै।

बी.के.कमल ने कहा कि हम स्वयं को आत्मा समझ निराकार परमात्मा के साथ आत्म व बुद्धि के तार जोड़कर अनेक बुराइयों व अवगुणों को समाप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि परमपिता परमात्मा शिव हमें विकारों को समाप्त करने की शक्ति देते है। दुःख और कष्ट से मुक्ति के लिए परमात्मा शिव से योग लगाएं। निराकार शिव परमात्मा इस धरा पर आकर आत्मा के अंदर व्याप्त अंधकार रूपी रात्रि को समाप्त करते है, जिससे मनुष्य जीवन और सृष्टि सतयुगी हो जाती है।
बी.के. हंसमुख भाई, बी.के.रजनी, बी.के.मीना व सेवाकेन्द्र में आने वाले अनुयायी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।