

भारत ही नहीं पूरे विश्व में नई जनरेशन का एक तबका, उसको एक अलग ही शौक चढ़ा हुआ है विज्ञापन देख देखकर ब्रांडेड दिमाग में बिठा लिया और एक रूपये की चीज पाॅच रूपये तक में खरीदी करने में उन्हे कोई झिझक नहीं होती, उस पर यदि 50% डिस्काउंट का ऑफर का टेग लग जाए तो सोने पर सुहागा पर अभी भी यह नहीं समझ रहे कि आप ऑफर लेकर भी एक रुपए की चीज ढाई सौ गुना महंगी कीमत में ले रहे है। कई बच्चे विदेश जाते हैं तो बड़े गर्व से बताते हैं कि मम्मी यह हेन्ड पर्स आपके लिए पच्चीस हजार का, पापा यह शूज आपके लिए साढे आठ हजार का, भैया यह टीशर्ट आपकी चार हजार चार सौ की ठीक बात है आपकी भावना रही अच्छे से अच्छी और महंगी से महंगी चीज लाने की है पर आपकी इस भावना में आप कितने ठगे गए हो इसका आपको अंदाज नहीं है। पच्चीस हजार का हैंड पर्स क्या मायने रखता है सिवाय ब्रांड के नाम से पैसे देने के। आजकल शूज की कीमत भी चार पाॅच हजार से शुरू होकर बिस हजार कीमत का टैग लगा मिलेगा इसी तरह चश्मा, कपड़े इनकी कीमतें भी बड़े ब्रांडेड दुकान में और जब से माल कल्चर शुरू हुआ है हर चीज महंगे भाव में युवा वर्ग खरीदते हैं और अब तो बच्चों के साथ कई सपरीवार खरीदने लगे। माना आपकी इनकम बहुत अच्छी है पर इस पैसे को बचाना भी सीखें। आप इंटेलिजेंट है तभी आप अच्छा पैसा कमाते हैं। खरीदारी में समझदारी यही इंटेलिजेंस का मूल मंत्र है।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)