जयपुर । महाराष्ट्र में चल रहे सियासी उठा पटक के बीच ऑपरेशन लोटस एक बार फिर चर्चा में है. इसे लेकर सीकर पहुंचे सीएम गहलोत से राजस्थान में उनके प्रभाव कम न होने का सवाल पूछा गया तो उन्होंने लोकतंत्र को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि डेमोक्रेसी में वही होता है जो जनता चाहती है. वो ही सरकार बनाती हैं और वो ही गिराती हैं. इसके अलावा उन्होंने मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर भी हमला किया._

सवाल- ऑपरेशन लोटस एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत के पास कोई जादू है कि उसको रोक देते हैं, इसे किस तरह से देख रहे हैं?_

जवाब- देखिए हर स्टेट की परिस्थिति अलग-अलग होती है. वहां की परिस्थिति आप देख रहे हैं. अब वहां क्या स्थिति बनती है वो तो आने वाला वक्त बताएगा. मेरी दृष्टि से वहां भी हॉर्स ट्रेडिंग ही हो रही है. पर ये अच्छी परंपरा नहीं है. बीजेपी पहले मध्यप्रदेश, फिर राजस्थान और फिर महाराष्ट्र में सरकार बनाने में लगी है. ये देश के लिए, डेमोक्रेसी के लिए शुभ संकेत नहीं है. लोकतंत्र में पब्लिक ही माई-बाप होती है, वो ही सरकारें बनाती हैं और वो ही घर भेजती है. हिंदुत्व के नाम पर नारा दिया गया तो लोग हिंदुत्व के नाम पर इनको सपोर्ट करने लग गए.

महाराष्ट्र में सियासी उलट फेर:_

लेकिन अन्य प्रॉब्लम जैसे महंगाई , बेरोजगारी, और अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है. सेना के अंदर सरकार अग्निपथ (Agnipath Scheme) लेकर आई है, ये एक नया प्रयोग है. लेकिन इसे पार्लियामेंट डिस्कशन, रिटायर्ड अफसरों के जनरल, कर्नल से बातचीत के बाद लाते तो ये स्कीम अच्छे ढंग से लागू हो सकती थी. लेकिन उसे भी कॉन्ट्रोवर्सी में डाल दिया गया. ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई को जिस तरह से मिसयूज किया जा रहा है, उससे पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है. सब लोग घबराए हुए हैं, बोल नहीं रहे हैं. हिंदू-मुस्लिम को लेकर भी जो राजनीति हो रही है, वो भी खतरनाक है. अगर यूं ही हिंसा होगी तो विकास नहीं होगा. ये कोई अच्छे हालात थोड़े ही हैं?

सवाल- ईआरसीपी को लेकर गजेंद्र सिंह शेखावत फिर बोल रहे हैं, वो कह रहे हैं कि पायलट ने गलती कर दी, तो क्या ईआरसीपी के मुद्दे को लेकर गजेंद्र शेखावत कन्फ्यूज्ड हैं या कांग्रेस जो बात कह रही है वो अलग है ?_

जवाब- देखिए 2 गलतियां उन्होंने की है. एक तो उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री ने ईआरसीपी को लेकर जनता से कोई वादा नहीं किया. उन्होंने एक शब्द भी नहीं बोला ईआरसीपी के बारे में. अगर ये सिद्ध हो जाए तो वे राजनीति छोड़ देंगे.’ तो प्रदेश की जनता इंतजार कर रही है कि वो कब राजनीति छोड़ेंगे. दूसरा उन्होंने कहा कि सचिन पायलट जी अगर सक्सेस हो जाते, तो पानी पहुंच जाता. तो ये समझ के परे है. क्योंकि जल संसाधन मंत्री खुद ही राजस्थान के हैं. ईआरसीपी हमारी योजना नहीं थी, वसुंधरा राजे जी की था. ये बड़ी महत्वाकांक्षी योजना है. जबसे हम आए हैं तबसे ही उसको आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. बल्कि इस बार मैंने 9 हजार करोड़ रुपए स्टेट फंडिंग में रखे हैं, अगर केंद्र नहीं देती है तो हम खुद काम करेंगे. योजना का काम शुरू हो गया है, और इसे आगे बढ़ाना चाहिए. मंत्री जी को भी चाहिए कि राजस्थान के हित में बात करें. वे खुद राजस्थान के प्रतिनिधि हैं, केंद्र के मंत्री हैं. क्या प्रधानमंत्री जी को कह कर एक योजना को राष्ट्रीय परियोजना नहीं बनवा सकते? बनवा सकते हैं. अगर वो ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उनका बात करने का नैतिक अधिकार क्या है?