आज देश की पहली और अब तक की महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती है, जिन्हें पूरी दुनिया लौह महिला के नाम से भी जानती है। प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने कई बड़े फैसले लिए, जिनकी वजह से कई बार तो वह प्रशंसा की पात्र बनी तो कई बार उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। अपने एक एेसे ही फैसले की वजह से इंदिरा को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। इंदिरा गांधी की जयंती पर उनसे जुड़ी कुछ बातों पर प्रकाश डालते हैं।


इंदिरा गांधी 24 जनवरी,1966 को पहली बार देश की प्रधानमंत्री बनीं, जिसके बाद प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने इतिहास रच दिया था। वो पहली और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रही हैं।
इंदिरा वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमंत्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में अपनी हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं।
इंदिरा ने अपने पिता के खिलाफ जाकर साल 1942 में फिरोज से शादी की थी। जवाहरलाल नेहरू को इंदिरा और फिरोज के रिश्ते से सख्त ऐतराज था।
इंदिरा को उनका ‘गांधी’ उपनाम फिरोज गांधी से विवाह के पश्चात मिला था। इनका मोहनदास करमचंद गांधी से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था।


इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को ऐसा जख्म दिया है, जिसकी टीस हमेशा उसको महसूस होती रहेगी। पाकिस्तान के लिए यह जख्म 1971 के बांग्लादेश युद्ध के रूप में था। 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और बांग्लादेश बना।
इंदिरा के नेतृत्व में 1974 में परमाणु परीक्षण करके भारत ने दुनिया को हैरत में डाल दिया था।


अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा अहम फैसला इंदिरा ने अमृतसर के गोल्डन टेम्पल में आपरेशन ब्लू स्टार चलाकर किया था, जिसमें भिंडरावाला और उसके समर्थकों को मार गिराया था।
इस ऑपरेशन ने पूरे पंजाब को हिलाकर रख दिया था। सिखों के धार्मिक स्थल पर एेसी कार्रवाई से पूरा सिख समाज उनके खिलाफ हो गया था।
1 जून, 1984 से 8 जून, 1984 तक चले इस अभियान में सैकड़ों लोग मारे गए।
ब्लू ऑपरेशन से खफा सिख समाज में रोष था। इस वजह से इंदिरा गांधी के अंगरक्षकों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने 31 अक्टूबर, 1984 को उन्हें घर के लॉन में ही गोलियों से भून दिया था।
