प्रतिदिन -राकेश दुबे
कुपोषण से मरते बच्चे, आत्म हत्या करते किसान, उधड़ी सड़के और नागरिक सुविधाओ के नाम सिर्फ टोटके ,एक दूसरे पर करोड़ों की हेराफेरी के आरोप लगाते राजनीतिक दल, उनके नेता और नेताओं की चाकरी में लगे उनके चहेते अफसर ही पिछले ३० वर्षों से मध्यप्रदेश की पहचान बने हुए है । जिसने भी यह नारा दिया है, बहुत ही सोच समझ कर दिया है ।” मध्यप्रदेश अजब है बहुत ही गजब है।”
सब जानते हैं, मध्यप्रदेश में एक सरकार बिजली, पानी सडक की समस्या के कारण “बन्टाधार” का ख़िताब पाकर जा चुकी है । जो भी राजनीतिक दल सत्ता में आता है यही सब करता है, प्रतिपक्ष चाहे यह रहे या वह रहे करोड़ों की हेराफेरी प्रदेश का राजनीतिक चरित्र बन गया है ।दोनों यह जानते हैं की सरकारी योजना से कैसे धन निचोडा जाता है ।दोनों ने इसके लिए अपने चहेते अफसरों की सूची बना रखी है जो आर्थिक शोषण को अंजाम दे देती है ।अब पक्ष- प्रतिपक्ष दोनों ही ऐसे अफसरों के नाम उछाल रहे है, पिछले एक सप्ताह से ऐसे कई सफेदपोश नाम चर्चा में है। हद तो ये सबको मालूम है भ्रष्टाचार के गटर का मुंह कहाँ खुला है और भ्रष्टाचार सरोवर में कौन- कौन गोते लगा रहा है।
छापेमारी के दौरान आयकर विभाग को सम्पत्ति के कागजात पेपर्स के साथ करोडो रुपये के ज्वेलरी और कैश भी मिलते हैं| इनमे पक्ष- प्रतिपक्ष के छोटे- बड़े नाम के उन अफसरों के नाम भी जुड़े है । जिन्होंने देश सेवा की शपथ ली है ।इनके साथ उन व्यापारियों का गठजोड़ है, जिनकी ख्याति ठीक नहीं है। इन दुकानदारों ने अपनी दुकान में काम करने वाले स्टाफ के नाम से भी बेनामी सम्पत्ति ले रखी थी।
राजधानी भोपाल और प्रदेश के बड़े शहरों में ऐसे कई साझे प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।जिनमें कालोनी, बाज़ार, अस्पताल मेडिकल कालेज भी है । दूर दराज़ गाँव में स्थापित इन परियोजनाओं के लिए शासकीय योजनाओं से अवशोषित धन का चमत्कारिक रूप से स्थानान्तरण हो जाता है ।
आयकर विभाग ने एक मामले में ३५७ एकड़ जमीन, सात फ्लैट, छह मकान, चार डुप्लेक्स, दो होटल, दो शॉपिंग मॉल्स, चार दुकानें और दो हॉस्टल्स से जुड़े दस्तावेज छापों के दौरान बरामद किए गये ।आईटी विभाग के एक सूत्र नेपुष्टि की है कि, “इनमें से अधिकांश संपत्तियां उन कर्मचारियों के नाम पर पंजीकृत हैं जो प्रति माह १५००० रुपये से कम कमाते हैं.” ।