‘शक्ति का वंदन
शिव का अभिनंदन ‘

स्वतंत्र पत्रकार राजेन्द्र सिंह गहलोत बुद्धिजीवी पत्रकारों की श्रृंखला की एक कड़ी के रूप में जाने जाते हैं। इनकी लिखी सारी किताबें चर्चित रहती है।

इसी श्रृंखला में मनोवैज्ञानिक अवधारणा से ओत-प्रोत जे.के.पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित गहलोत की नई पुस्तक का नाम है ‘शक्ति का वंदन, शिव का अभिनंदन” ।
राजेन्द्र सिंह गहलोत आधुनिक दृष्टांत का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति न मात्र पुरुष है, न मात्र स्त्री, आपका जन्म अकेली माता या अकेले पिता से नहीं हुआ, शुक्राणु, अंडाणु के संयोग से हुआ है, इसलिए आप पुरुष शरीर धारण करने के बावजूद स्त्री भी हो और स्त्री शरीर धारण करने के बावजूद पुरुष भी हो।

इसलिए शिव और शक्ति अलग-अलग नहीं हैं, एक दूसरे के पूरक हैं, स्त्री शक्ति है, पार्वती है तो पुरुष शिव है।

इस किताब में अपने अपने क्षेत्र के नामी-गिरामी लोगों के साक्षात्कार हैं, जिनमें न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका, शिक्षा, चिकित्सा, व्यवसाय, समाजसेवा, कला एवं थियेटर जगत के लोग शामिल हैं।

राजेन्द्र सिंह गहलोत जिस तरह का लेखन करते हैं उसके लिए लेखक का बुद्धिजीवी होने के साथ उसमें सनकीपन होना भी अनिवार्य रूपेण शर्त है, इस बात को गहलोत स्वयं स्वीकार करते हुए कहते हैं कि मैं मेरे सनकीपन में किताब लिखता हूं या थियेटर करता हूं, वह सनकीपन जब सीमापार करता है तब उसकी चर्चा भी होती है।

यह पुस्तक चर्चा का विषय जरूर बनेगी और कई साक्षात्कार दाता भी इस पुस्तक के माध्यम से चर्चित जरूर होंगे।

मंगलम ग्रुप के मालिक एन.के. गुप्ता ने बड़े साहस के साथ पूर्ण ईमानदारी से साक्षात्कार दिया है, मंगलम प्लस मेडिसिटी होस्पिटल की डायरेक्टर नेहा गुप्ता तथाकथित समाजसेवियों को बेनकाब कर देती है और कहती है समाजसेवक का लबादा ओढ़ने के लिए दो-चार चीजें दान करने से ही आप समाजसेवी नहीं बन जाओगे।

आरजीएएस प्रकरण में चर्चित राजस्थान सरकार के वित्त सचिव (व्यय) मानते हैं कि जो आईएएस मीडिल क्लास की मेंटेलिटी को समझेगा तो उसकी योजनाएं कभी असफल नहीं हो सकती, उनका मानना है कि आईएएस का काम है जनता की आवाज सुनना और उसे सिस्टम में कैसे लीगल तरीके से एग्जीक्यूट करवाया जाए यह देखना फिर आप सरकार और जनता दोनों के प्रिय रहेंगे। अगर नवीन जैन सीजीएचएस की तर्ज पर आरजीएचएस को भी पूर्णतया कैशलैस करवाने में सफल हो गये तो निश्चित रूप से यह जनता के हीरो बनकर उभरेंगे।

सरदार अजयपाल सिंह भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष हैं, जिनके चार स्कूल और एक कालेज चलते हैं, यह शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल पेश कर सकते हैं, अनंत संभावनाएं हैं।

जिला एवं सैशन न्यायाधीश पृथ्वीराज ने तो अपने फैसलों में अपने आपको अलग हटकर साबित कर दिया है।

जसबीर सिंह अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अच्छे वक्ता हैं, अनिल कुमार आरएएस मेडिकल कॉलेज में एडमिशन का प्रयास करने वालों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं जिन्होंने 500 छात्र छात्राओं को पढ़ाकर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलवा दिया। पोट्रेट आर्टिस्ट चंद्र प्रकाश गुप्ता शहीदों के परिवारों को पोट्रेट भेंटकर राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो चुके हैं। प्रिंस रूबी मुस्लिम धर्मगुरु के घर जन्म लेने के बाद भी धर्मनिरपेक्ष शख्सियत के तौर पर पहचाने जाते हैं ‌। डाक्टर अलका गौड़ सरकार पर व्यंग्य करते हुए कहती है कि सरकारी स्तर पर सड़क के दोनों ओर बड़, पीपल, नीम आदि के वृक्ष लगाने कभी के बंद हो गये हैं, उसकी जगह पौधारोपण का एक फैशन चला है गमलों में पौधे लगाने का, जिनको लगाकर फोटो खिंचवाकर स्टेटस पर लगा दिया जाता है इससे पर्यावरण का भला होने वाला नहीं है, सड़क के दोनों ओर नगरनिगम की सरकारी पार्किंग हटाईं जाकर फलदार और छायादार वृक्ष लगाने की जिम्मेदारी पार्षद, विधायक, सांसद को दे दी जाए तभी पर्यावरण और पृथ्वी बचेगी।

इसी तरह के अन्य साक्षात्कार भी हैं, जिनको लेने के लिए साहस की जरूरत है, वर्तमान कालखंड में ऐसे प्रयासों की सराहना करना बेहद जरूरी हो जाता है।