बीकानेर।बीकानेर के रिड़मलसर सिपाहियान के महरूम कमरूदीन खाँ पंवार की साहित्यिक धरोहर को उनके पुत्र हाजी मुस्ताक अहमद ने 1959 से अपने पिता के स्वर्गवास होने के बाद से अब तक सम्भाल रखा था जिसे साहित्यनुरागी मईनूदीन कोहरी नाचीज बीकानेरी ने संकलित साहित्य को सम्पादित कर “कमर काव्य ” प्रकाशक सोशल प्रोग्रेसिव सोसायटी से प्रकाशित सराहनीय कार्य किया है, इस कार्य मे समन्वयक के रुप मे हाजी अब्दुलर्हमान पंवार पूर्व संयुक्त विधि सलाहकार ने सहयोग दिया इस पुस्तक पर प्रमुख गणमान्य लोगों ने इस अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि 60 वर्ष से जो साहित्य संजोकर रखा गया है गया जिसे इस दुर्लभ काम को नाचीज बीकानेरी ने साहित्य जगत को जो तोफ़ा दिया उसकी प्रशंसा की जो एक समाज के लिए प्रेरणादायक कार्य किया है ।

कोरोना के इस काल को देखते हुए विमोचन न कर इस सम्पादित पुस्तक को साहित्य जगत में उजागर किया है ।