आलेखः – अनमोल कुमार
गायत्री की महिमा के पवित्र वर्णन शास्त्रों में अनेक जगह मिलते हैं। वहीं वेदों में मां गायत्री को वेदमाता , देवमाता और विश्वमाता माना गया है। गायत्री मंत्र त्रिदेव बृह्मा, विष्णु और महेश का सार है। ये भारतीय संस्कृति की जन्मदात्री भी मानी जाती हैं।
सभी ऋषि-मुनि भी गायत्री का गुण-गान करते हैं। पंचमुखों वाली भी बताई गईं हैं, इसके संबंध में बताया जाता है कि यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड- जल, वायु, पृथ्वी, अग्नि और आकाश के पांच तत्वों से बना है।
समस्त सनातन धर्म ग्रंथों में गायत्री की महिमा एक स्वर से कही गई। सनातन धर्म में गायत्री मंत्र को अत्यंत सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस मंत्र का जहां हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले हमेशा जाप करते हैं, वहीं कई शोधों में तक इस बात को माना गया है कि गायत्री मंत्र के जाप के कई फायदे हैं।
गायत्री मंत्र : –
||| ” ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात् ॐ ” |||
गायत्री मंत्र को गुरू मंत्र भी माना जाता है, ऐसे में बिना गुरु के साधना का फल देरी से मिलने की बात कही जाती हैं। ऐसे में साधक अपने गुरु की चेतना का आवाहन, उपासना की सफलता पूजा स्थल पर इस मंत्र से करें-
ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुर्रु देवों महेश्वरः।
गुर्रु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
अखण्डमंडलाकारं, व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन, तस्मै श्रीगुरवे नमः ॐ ॥
[ ॐ श्रीगुरवे नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि ]
शांत चित्त बैठकर जाप करें :-
गायत्री मंत्र का जाप शांत चित्त बैठकर किया जाना चाहिए। माना जाता है कि जाप करते समय बंद नेत्रों से उगते हुए सूर्य का ध्यान करने से मंत्र जप का फल अधिक मिलता हैं। जाप प्रक्रिया कषाय ( भेद- क्रोध, मान, माया तथा लोभ) -कल्मषों-कुसंस्कारों को ह्दय से हटाने की भावना के साथ ही भौतिक सुख सुविधाओं की कामना के लिए की जाती है।
गायत्री मंत्र का जाप कम से कम तीन माला यानि घड़ी से प्रायः चौबीस मिनट या 11 माला अवश्य करना चाहिए। ध्यान रहें जाप के दौरान वक्त होठ हिलते रहने चाहिए, लेकिन आवाज इतनी हल्की होनी चाहिए कि पास बैठा व्यक्ति भी सुन न सकें।
गायत्री मंत्र:
ये है खासियत…
1. सनातन धर्म में वेदों की संख्या चार है, साथ ही सभी चारों वेदों में गायत्री मंत्र का उल्लेख है। इस मंत्र के ऋषि विश्वामित्र हैं और देवता सवित्री हैं।
2. मान्यता के अनुसार इस मंत्र का नियमित तीन बार जाप करने वाले व्यक्ति के आस-पास तक नकारात्मक शक्तियां नहीं फटकती।
3. गायत्री मंत्र का जाप कई लाभ प्रदान करता है। मंत्र के अनुसार ‘उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।’
4. बौद्धिक क्षमता के साथ ही इस मंत्र के जाप से मेधा शक्ति यानि स्मरण की क्षमता में भी बढ़ौतरी होती है। जो व्यक्ति का तेज बढ़ाने के साथ ही दुःखों से छूटकारा दिलाने में भी मदद करती है।
5. गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय के दो घंटे पूर्व से लेकर सूर्यास्त से एक घंटे बाद तक किया जा सकता है।
6. मौन मानसिक जाप किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन रात्रि में इस मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
7. मान्यता है कि गायत्री मंत्र का जाप रात में लाभकारी नहीं होता है। यह इस समय कोई गलत परिणाम भी दे सकता है।
8. गायत्री मंत्र 24 अक्षरों से बना है।
चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक यह चौबीस अक्षर ही हैं। इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मंत्र को भौतिक जगत में सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।
9. गायत्री मंत्र के साथ श्रीं का संपुट लगाकर जाप करने से आर्थिक बाधा दूर होती है।
10. छात्रों के लिए यह मंत्र बहुत ही फायदेमंद मानते हुए स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि गायत्री सद्बुद्धि का मंत्र है, इसलिए इसे मंत्रों का मुकुटमणि कहा गया है।
11. नियमित रूप से 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करने से बुद्धि तेज और याददाश्त की क्षमता बढ़ जाती है। यह मंत्र व्यक्ति की बुद्धि और विवेक को निखारने का भी काम करता है।
वेदों के अनुसार मां गायत्री की पूजा उपासना कभी भी, किसी भी स्थिति में की जा सकती है और हर स्थिति में यह लाभदायी है, लेकिन विधिपूर्वक श्रद्धा भावना के साथ की गयी उपासना अति फलदायी मानी गयी है । ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होकर गायत्री मंदिर या घर के किसी भी शुद्ध पवित्र स्थान पर पीले कुशा के आसन पर सुखासन में बैठकर गायत्री मां की पूजा की जानी चाहिए !