

प्रशांत कुमार/सुपौल
सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज थाना अपने कारनामें को लेकर आए दिन सुर्खियों में बना रहता है शराब की सूचना देने पर सूचक को जेल तो बीएसएफ जवान के लूट की शिकायत पर उल्टे बीएसएफ जवान पर मनगढ़ंत आरोप लगा कर जेल भेजने के अनोखे कारनामें इनके नाम है।बीते सोमवार की देर संध्या लगभग साढ़े छह बजे भी त्रिवेणीगंज पुलिस के एक अजीब कारनामें सामने देखने को मिला हैं।थाना क्षेत्र के कुपड़िया गांव निवासी बिरेन्द्र यादव अपनी सात वर्षीय पुत्री रीना कुमारी की तबियत खराब होने के बाद उसे त्रिवेणीगंज बाज़ार के उच्च विद्यालय के नजदीक एक निजी हॉस्पिटल इलाज़ के लिए लाते हैं।जिसके बाद इस निजी अस्पताल में इस बीमार बच्ची की ईलाज शुरू की जाती है इलाज कर रहे अस्पताल के डॉक्टर बच्ची को दवाई देते हैं।


परिजन बताते हैं कि जब मेरी बच्ची यहीं मर गई तो इसे मेडिकल जांच के लिए क्यों भेजा गया हैं।परिजन इस दौरान इस निजि अस्पताल के डॉक्टर पर बीमार बच्ची को जानबूझ कर मारने का आरोप लगाते हैं साथ हीं मुआवजे की भी मांग करते हैं।इस दौरान पुलिस की कार्यशैली बड़ी दिलचस्प देखने को मिली हैं। स्थल पर पहुंची त्रिवेणीगंज पुलिस मामले की लीपापोती यह कह कर दिए कि मृत बच्ची के परिजन हीं केश करना नहीं चाहते हैं इसलिए केश दर्ज नहीं हुआ और मामले को रफा- दफा कर दिया गया हैं जबकि परिजन का आक्रोश और हकीकत कुछ और बयां करता है।जबकि चिकित्सक सूत्रों का कहना हैं कि हैं बेहतर उपचार के लिए बच्ची को रेफर कर दिया गया था।
