

वुहान के घटते- बढ़ते मौत के आंकड़ों से दुनिया भर में यह माना जा रहा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने सूचनाएं छिपाईं और मौत के बारे में सच नहीं बताया। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने शुरुआती दिनों में जिस तरह से इस दुष्काल को छिपाने का काम किया, उसी का नतीजा आज विश्व भोग रहा है अब यह महामारी भारी संख्या में लोगों की जान ले रही है।इसकी जद में विश्व स्वास्थ्य सन्गठन भी आ गया |अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोक दी है। ट्रंप का आरोप है कि संगठन ने न सिर्फ घातक गलतियां कीं, बल्कि चीन पर बेजा भरोसा किया |इस महामारी को लेकर चीन का आंख मूंदकर समर्थन करने के कारण डब्ल्यूएचओ की वैश्विक साख को भी धब्बा लगा है।
पक्की खबर है अमेरिका कोरोना वायरस से स्रोत की भी जांच कर रहा है और इस बात के प्रमाण जुटा रहा है कि यह वायरस बाजार की बजाय वुहान की एक प्रयोगशाला से निकला है। अमेरिकी राज्य मिजूरी ने तो अप्रत्याशित कदम उठाते हुए चीन पर मुकदमा ही कर दिया है और आरोप लगाया है कि बीजिंग ने कोरोना वायरस को लेकर दुनिया को गलत जानकारी दी, जिससे बड़े पैमाने पर मौत और भारी आर्थिक नुकसान हुआ।




पिछले दो दशकों में चीन की कंपनियों ने यूरोपीय प्रौद्योगिकी कंपनियों में खासा निवेश और उनका अधिग्रहण किया है। ऐसे में, यह खतरा है कि कोविड-१९ महामारी और इसके कारण पैदा होने वाला आर्थिक संकट यूरोप में चीनी दखल की नई संभावनाएं खोल सकता है। हालांकि यूरोप इस खतरे से अनजान नहीं है। यूरोपीय संघ के कॉम्पिटिशन कमिशनर ने हाल ही में कहा है कि इससे बचने के लिए यूरोपीय देशों को अपनी कंपनियों में शेयर बढ़ाना चाहिए।


ऐसे में, दुनिया भर के राष्ट्र स्वाभाविक तौर पर अपनी वैश्विक आपूर्ति शृंखला पर गहरी नजर रखे हुए हैं और चीन की अर्थव्यवस्था पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश में हैं। उनके लिए जरूरी है कि वे अपनी तरह की सोच रखने वाले देशों के साथ मिलकर काम करें। वे न सिर्फ एक नई वैश्विक आपूर्ति शृंखला बनाने की ओर बढ़ें, बल्कि चीन की वर्चस्ववादी सोच से बचने की जुगत भी करें।
