नई दिल्ली।चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डा. एसएन पाण्डेय के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता नवंबर के महीने से बढ़ने लगती है और फरवरी तक जारी रहती है। मार्च तक पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता और आवृत्ति कम होने लगती है। कभी-कभी मार्च के महीने में भी पश्चिमी हिमालय पर मजबूत पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव पड़ता है, जो इस वर्ष भी है।
यह ताजा पश्चिमी विक्षोभ जम्मू और कश्मीर, गिलगित बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में आज शाम तक अच्छी बारिश और बर्फ देना शुरु कर देगा। 22 से 24 मार्च के बीच जम्मू-कश्मीर से लेकर उत्तराखंड तक के सभी पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी और ओलावृष्टि के साथ तेज गरज और बारिश हो सकती है।
यह मार्च का पहला और अंतिम सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ हो सकता है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश और आंधी चलने के आसार हैं। कल से तीव्रता और प्रसार बढ़ सकता है।
दिल्ली और मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में भी 22 और 23 मार्च को अच्छी गरज के साथ बारिश हो सकती है। 22 मार्च को और 23 को उत्तर-पश्चिम भारत में तेज हवा से जुड़ी ओलावृष्टि की गतिविधियों से इंकार नहीं किया जा सकता है। इन गतिविधियों को प्री-मानसून गतिविधियां कहा जा सकता है।
तेज हवाएं, मध्यम वर्षा और ओलावृष्टि उन फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है जो कटाई के लिए तैयार हैं। पश्चिमी विक्षोभ 25 मार्च तक पूर्व की ओर खिसक जाएगा और साफ हो जाएगा। उत्तर की ओर से चलने वाली ठंडी हवाएं 27 मार्च तक तापमान को कम कर सकती हैं। इसके बाद दिन और रात के तापमान में क्रमिक वृद्धि का अनुमान है।