विविधता से भरे भारत का हर प्रदेश अनूठा है, लेकिन राजस्थान का उन सब में एक विशिष्ट स्थान है। राजस्थान उस दर्पण की तरह है जहां देश की भव्यता, वीरता, गौरव और पवित्रता के दर्शन एक साथ होते हैं।
धार्मिक ग्रंथों में बैराठ के नाम से विख्यात राजस्थान वह पुण्य भूमि है, जहां प्राचीन काल से ही सभ्याताएं फूली-फलीं। वह चाहे पाषणकाल की बागोर सभ्यता हो, ताम्रकालीन गिलूंड सभ्यता या फिर हड़प्पा के समय की कालीबंगा सभ्यता, हर काल खंड में इस धरा पर जीवन आगे बढ़ा और बेहतर बना। इसके साक्ष्य हमें आज भी देखने को मिल जाते हैं।
राजस्थान का हर कण पराक्रम, भक्ति और सेवा के प्रकाश से आलोकित है। यहाँ महाराणा प्रताप और महाराजा सूरजमल का शौर्य और पराक्रम है तो मीराबाई और गवरी बाई की भक्ति भी है। यहां पन्ना धाय, गोरा धाय का अप्रतिम बलिदान है तो पद्मिनी, कर्णावती की गौरव गाथाएं भी हैं। पृथ्वीराज चैहान, राणा कुम्भा, राणा सांगा, गोरा-बादल, वीर दुर्गादास जैसे शूरवीर इसी भूमि की संतान हैं। दानवीर भामाशाह जैसे महान सपूतों का जन्म भी इसी महान धरती पर ही हुआ।
इतिहास में इस मरूधरा पर स्वाभिमान और मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने की अनेक प्रेरणास्पद गाथाएं लिखी गईं वहीं आधुनिक समय में भी इसी वीर भूमि पर हुए परमाणु परीक्षण ने ही नए भारत की शक्ति का परिचय पूरे विश्व को करवाया।
यहां की रंगबिरंगी संस्कृति, आकर्षक परम्पराएं और जीवंत कलाएं भी अपनी एक विशेष पहचान रखती हैं। राजस्थान का लोक संगीत, लोक नृत्य, साहित्य, मूर्तिकला, वास्तुकला, हस्तशिल्प भी विश्व में विख्यात हैं।
आज #राजस्थान_दिवस के अवसर पर प्रदेश की उन्नति, विकास और प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना करता हूँ। महान साहित्यकार श्री कन्हैयालाल सेठिया जी की इन पंक्तियों के साथ सभी राजस्थानियों को इस दिवस की मोकली-मोकली शुभकामनाएँ।

आ धरती गोरा धोरां री, आ धरती मीठा मोरां री।
ईं धरती रो रूतबो ऊंचो, आ बात कवै कूंचो कूंचो।।

आं फोगां में निपज्या हीरा, आं बांठां में नाची मीरा।
पन्ना री जामण आ सागण, आ ही प्रताप री माँ भागण। ओम बिरला अध्यक्ष लोकसभा