मुकेश पूनिया
अबकी फेल होती दिख रही जादूगरी
राजस्थान में सत्ता के संघर्ष को लेकर उपजे हालातों में अबकी कांग्रेस के बड़े जादूगरजी की जादूगरी फेल होती दिख रही है। क्योंकि सियासत के सचिन ने इस बार उनकी जादूगरी के चक्रव्यूह भेदकर ऐसा दाव खेला कि जादूगरजी का अपनों पर से ही विश्वास खत्म हो गया और खुद के खेमें कौन अपने और कौन पराये यह पता लगाने के लिये भी उन्हे खुफियाओं की मदद लेनी पड़ रही है। हालांकि सत्ता का खेल बिगाडऩे में सचिन को आर्शिवाद देने वाले ज्यादात्तर नामों का खुलासा हो चुका है,लेकिन सारे खेल में पर्दे के पीछे रह कर सचिन के कंधे का इस्तेमाल करने वाले कई दिग्गजों के नाम अभी तक उजागर नहीं होने से जादूगरजी अपनी जादूगरी खुलकर नहीं दिखा पा रहे है। इसके अलावा भी सत्ता और संगठन के मामले में जादूगरजी के ऐसे कई पेच अड़े हुए कि खुद का करिश्मा दिखाने से पहले उन्हे गहराई तक सोचना पड़ रहा है। अब उनकी सत्ता कायम रहेगी या नहीं,इसका तो पता नहीं है। मगर लोकसभा चुनावों से लेकर अब तक के सियासी हालातों से उन्होने गांठ बांध ली कि बच्चों पर ज्यादा भरोसा भारी पड़ता है। इसलिये फिलहाल सब खैरियत है।
– बीकानेर के घोड़े नहीं मार रहे उछाल
सत्ता को लेकर चल रहे घमासान में प्रदेश की सियासत के तमाम घोड़े जबरदस्त उछाल मार रहे है। कई तो सत्ता के अस्तबल से बाहर निकल ऊंची छंलागे भी लगा रहे है और उनका करंट जयपुर से लेकर दिल्ली तक दिख रहा है। ऐसे में माहौल में जब नजर बीकानेर वाले घोड़ो की तरफ जाती है तो माहौल ठंडा नजर आता है। हालांकि बीकानेर वाले घोड़े भी मजबूत कांग्रेसी नस्ल के है,और ऊंची छंलाग भी लगा सकते है, लेकिन सत्ता के मोह ने उनके पांव बांध रखे है। इससे सीएम के रणनीतिकार अच्छी तरह वाकिफ है,इसलिये वे हमारे घोड़ो को लेकर पूरी तरह बेफ्रिक है। अब यह बात दूसरी है कि हमारे घोड़े मौका देखकर पाला बदलने में भी माहिर है,इसलिये वे मौके की नजाकत को भांपने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।
अब खर्चे का हिसाब जोडऩे पर मजबूर
राजस्थान की सत्ता पर आये संकट ने एक बार फिर बीकानेर में न्यास चैयरमेन बनने का ख्वाब संजाये बैठे रसूखातदारों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। इन हालातों में न्यास चैयरमेनशीप के तमाम दावेदार अब एक दूसरे को सांत्वना देकर अपने मन की पीड़ा शांत कर रहे है। वैसे बीकानेर में इस बार न्यास चैयरमेनशीप की दावेदारी का माहौल खासा दिलचस्प बना हुआ था,क्योंकि चैयरमेनशीप के लिये में कांगे्रसी दिग्गजों के अलावा पापड़-भूजिया,फल फ्रुट और साबुन कारोबारियों के साथ क्रिकेट बुकी,हवाला और होटल कारोबारी भी खूब दौड़धूप कर रहे थे। इनमें कईयों ने दावेदारी के लिये सोशल मीडिया पर अपना नाम वायरल करवाकर सुर्खियां भी बटोरनी शुरू कर दी और बेसब्री से खुश खबरी का इंतजार कर रहे थे। जो अब ताजा माहौल में सीएम के हाथों से फिसल रही सत्ता की आंशका के बाद अपनी दावेदारी के लिये किये गये खर्चे का हिसाब लगाने में जुट गये है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।
प्रदेश की सत्ता पर बीकानेर के कई नौकरशाहों की नींव टिकी हुई है,खुदा ना खास्ता अगर सत्ता गई तो यहां से कईयों को अपने बोरिया बिस्तर समेटने पड़ेगें। यही कारण है कि जिले में दर्जनों की तादाद में ऐसे नौकरशाह है,जो पिछले तीन दिनों से अपने कामकाज के बजाय जयपुर में चल रही सत्ता की उठापटक पर नजरें टिकाये हुए है। इनमें से कईयों तो अपनी भरपाई भी पूरी तरह से नहीं और सत्ता के संकट ने उनकी टेंशन बढा दी,इसके अलावा कईयों ने सत्ता वालों को खुश करने के लिये अपने कामकाज की शैली पर पुख्ता तौर पर कांग्रेसी टैग लगा लिया। अब अगर कांग्रेसी की सत्ता बदली तो क्या होगा,यही सोच कर उनका दिल बैठ रहा है। ऐसे माहौल में बीकानेर के कर्मठ कांगे्रसी नेताओं के साथ-साथ कांग्रेसी लॉबी के नौकरशाह भी प्रदेश की सत्ता के लिये लंबी उम्र की दुआ मांग रहे है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।